गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने आयोजित की कार्यशाला

हरिद्वार। गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के द्वारा आयोज्यमान सप्त दिवसीय अन्तर्जालीय कारकविषयक कार्यशाला के समापन के अवसर पर डी. ई.आई. डीम्ड टू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के आचार्य डा0 अभिमन्यु ने बताया कि जिस शब्द से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अथवा शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिन्ह ‘में’ ‘पर’ है। अधिकरण कारक में अधिकरण का अर्थ होता है। आधार या आश्रय संज्ञा का वह रूप जिससे क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति चिन्ह ‘में’ और ‘पर’ होती है। भीतर, अन्दर, ऊपर, बीच आदि शब्दों का प्रयोग इस कारक में किया जाता है। कहीं-कहीं पर विभक्तियों का लोप होता है तो उनकी जगह पर किनारे, आसरे, दीनों, यहाँ, वहाँ, समय आदि पदों का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी ‘में’ के अर्थ में ‘पर’ और ‘पर’ के अर्थ में ‘में’ लगा दिया जाता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री ने आयोज्यमान सप्त दिवसीय अन्तर्जालीय कारकविषयक कार्यशाला के आयोजक कर्ता एवं विभाग के सभी प्राध्यापकों को बधाई दी। उन्होंने कहा जिसकी अधिकरण संज्ञा होती है उसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। इसीलिए ऊपर के वाक्यों में ‘काष्ठफलके’ में सप्तमी विभक्ति है। सः प्रातःकाले उत्तिष्ठति उद्याने उपविश्य च पठति। इस वाक्य में सः कर्ता है। उसका संबंध ‘उत्तिष्ठति’ और ‘उपविश्य’ क्रियाओं से है। उठने का आधार (समय की दृष्टि सेद्) प्रातरूकाल है और बैठने का आधार (स्थान की दृष्टि सेद्) उद्यान है। अतः दोनों आधारों की अधिकरण संज्ञा होगी और उनमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होगा।
  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्व विद्यालय, वेरावल, गुजरात के कुलपति प्रो0 गोपबन्धु मिश्र ने बताया कि अधिकरण कारक वाक्य में क्रिया का आधार, आश्रय, समय या शर्त ‘अधिकरण’ कहलाता है। आधार को ही अधिकरण माना गया है। यह आधार तीन तरह का होता है- स्थानाधार, समयाधार और भावाधार। जब कोई स्थानवाची शब्द क्रिया का आधार बने तब वहाँ स्थानाधिकरण होता है। उन्होंने कहा कि जब कोई कालवाची शब्द क्रिया का आधार हो वहाँ कालाधिकरण होता है।
पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो0 महावीर अग्रवाल ने कहा कि 118 वर्ष पूर्व स्वामी श्रद्धानन्द महाराज ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की। संस्कृत विभाग द्वारा जो सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया इसके लिए विभाग के सभी प्राध्यापकगण बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि वेबिनार में संस्कृत के युवा प्राध्यापक मौजूद से जिससे संस्कृत का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि कहीं-कहीं अधिकरण का चिन्ह रहने पर भी वहाँ अन्य कारक है। अधिकरण कारक अथवा . शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति.चिह्न ‘में’ ‘पर’ हैं। अधिकरण कारक में अधिकरण का अर्थ होता है. आधार या आश्रय संज्ञा का वह रूप जिससे क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 सोमदेव शतांशु ने कहा कि जब कोई क्रिया ही क्रिया के आधार का काम करे, तब वहाँ भावाधिकरण होता है। कहीं-कहीं अधिकरण कारक के चिन्ह ‘में’ ‘पर’ लुप्त भी रहते हैं। विश्वविद्यालय के प्राच्यविद्यासंकाय के अध्यक्ष प्रो० ब्रह्मदेव विद्यालंकार ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद व्यक्त कियाद्य तत्परता (आसेवाद्) अथवा नियुक्त अर्थ में आयुक्त और कुशल (निपुण) शब्दों के योग में षष्ठी और सप्तमी दोनों विभक्तियाँ की जाती हैं किंतु आसेवा (तत्परता) के न होने पर केवल सप्तमी ही होती है। डा0 मौहर सिंह ने सभी प्राध्यापकों अभिनंदन और स्वागत किया तथा वेबिनार में उपस्थित सभी प्राध्यापकों का परिचय कराया। डा0 मौहर सिंह ने कहा विभक्ति संज्ञा शब्दों के क्रिया के साथ संबंध को प्रकट करने के लिए जो प्रत्यय लगाया जाता है उसे कारक विभक्ति कहते हैं। सामान्यतः कर्ता कारक का बोध कराने के लिए प्रथमा विभक्तिए कर्म कारक का बोध कराने के लिए द्वितीया विभक्तिए करण कारक का बोध कराने के लिए तृतीया विभक्तिए सम्प्रदान कारक का बोध कराने के लिए चतुर्थी विभक्तिए अपादान कारक का बोध कराने के लिए पंचमी विभक्ति तथा अधिकरण कारक का बोध कराने के लिए सप्तमी विभक्ति प्रयुक्त होती है। इस अवसर पर इस वेबिनार में प्रो० संगीता विद्यालंकार, डा० वीना विश्नोई, डा० मौहर सिंह, डा० वेदव्रत, डा0 श्वेतांक आर्य, हेमन्त नेगी तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों से लगभग ७०० से अधिक प्रतिभागी समुपस्थित थे।


Popular posts from this blog

नेशनल एचीवर रिकॉग्नेशन फोरम ने विशिष्ट प्रतिभाओं को किया सम्मानित

व्यंजन प्रतियोगिता में पूजा, टाई एंड डाई में सोनाक्षी और रंगोली में काजल रहीं विजेता

घरों के आस-पास चहचहाने वाली गौरैया विलुप्ति के कगार पर