घरों के आस-पास चहचहाने वाली गौरैया विलुप्ति के कगार पर

देहरादून, (गढ़ संवेदना) । घरों के आस-पास चहचहाने वाली गौरैया के विलुप्ति के कगार पर है। इसका मुख्य कारण इंसान की बदलती दिनचर्या है। कुछ सालों में गौरैया खत्म होने की कगार पर है। विशेषज्ञों के अनुसार शहरों में लगातार हो रहे प्रदूषण, अनाजों में रासायनिक दवाइयों के इस्तेमाल और रेडिएशन के वजह से गौरैया पर इसका बुरा असर पड़ा है। अगर जल्द इस विलुप्त हो रहे पक्षियों को संरक्षित और संरक्षण करने का काम नहीं किया गया तो एक दिन यह पक्षी नजर नहीं आएंगे। मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण, रासायनिक अनाज गौरैया के प्रजनन और अंडे देने की क्षमता में बुरी तरह से प्रभावित हुई है। शहरों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी गौरैया विलुप्ति की कगार पर है। जिसका मुख्य कारण लगातार कंक्रीट के मकान है ऐसे में अगर जल्द इनके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो सुंदर चिड़िया हम सब देखने को तरस जाएंगे। विश्व गौरैया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। गौरैया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के उददेश्य से वर्ष 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। पिछले कुछ समय से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है और इनके अस्तित्व पर संकट