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जनपद स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन, सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाले ब्लाॅक पुरस्कृत

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  देहरादून। युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग देहरादून के तत्वाधान में आज जनपद स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन आईआरडीटी ऑडिटोरियम सर्वे चैक देहरादून में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल द्वारा स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में पुरस्कार का वितरण  विधायक राजपुर क्षेत्र खजानदास द्वारा किया गया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन को युवाओं के लिए प्रेरणा सात बताते हुए उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और उसकी उपयोगिता एवं उद्देश्य से कार्यक्रम में उपस्थित समस्तजनों एवं कलाकारों को अवगत कराया। उन्होंने युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग को प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के उद्देश्य से करवाए जा रहे युवा महोत्सव के आयोजन पर बधाई देते हुए विकासखंडों से चयनित प्रतिभागियों का मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन भी किया। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रति विकासखंड 10000 की धनराश

चंचल मन को स्थिर करने के लिये ध्यान एक तकनीकः दाजी

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-केवल ध्यान के माध्यम से ही हम अपने हर प्रयास में उत्कृष्ट हो सकते  -गुरुकुंज आश्रम में हार्टफुलनेस संस्थान और राष्ट्र संत वंदनीय तुकडोजी महाराज संस्था के बीच एक कार्यक्रम   देहरादून। हार्टफुलनेस संस्थान और तुकडोजी महाराज की संस्था के बीच चल रहे सम्बन्धों के परिणामस्वरूप श्री कमलेश पटेल (दाजी) को गुरुकुंज में राष्ट्र संत वंदनीय तुकडोजी महाराज के श्रद्धांजलि वार्षिक समारोह में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया था, जहाँ 150,000 से अधिक अनुयायी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये एकत्रित हुए थे। वहाँ एक बड़ा समूह उनके स्वागत के लिये एकत्रित हुआ था। लगभग एक हजार से अधिक आगंतुकों ने हार्टफुलनेस के परिचयात्मक ध्यान सत्रों में भाग लिया, और अधिकांश ने अपने पहले सत्र में ही स्वयं को ध्यान में डूबा हुआ पाया। इस आयोजन के लिये विभिन्न स्थानों से एकत्र हुए हमारे वॉलंटियरों द्वारा प्रदान की गई निरूस्वार्थ सेवा से तुकडोजी महाराज के अनुयायी विस्मित थे। इस गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए दाजी ने कहा,  ''चंचल मन को स्थिर करने के लिये ध्यान एक तकनीक है। मन पहले शान्त हो जाता है, फिर उसे दिशा देने की जर

भाजपा की पिथौरागढ़ जीत को धनबल की जीत बताया 

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संगठन विजय सारस्वत ने पिथौरागढ़ उपचुनाव मंे भाजपा प्रत्याशी की मामूली अंतर से हुए जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे धनबल की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जनादेश का सम्मान करती है तथा जनता द्वारा दिये गये जनादेश को शिरोधार्य करते हुए पिथौरागढ़ की जनता तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पिथौरागढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता को विश्वास दिलाती है कि उन्होंने कांगे्रस पार्टी पर जो विश्वास जताया है उसे कांग्रेस पार्टी टूटने नहीं देगी तथा वहां के विकास के लिए एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में सदैव तत्पर रहेगी। विजय सारस्वत ने कहा कि उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत कम होने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी की पराजय हुई यह इस बात का संकेत भी है कि भाजपा सरकार ने पिछले 2 वर्ष के कार्यकाल में पिथौरागढ़ में विकास का एक भी काम नहीं किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस उपचुनाव ने साफ संकेत दिये हैं भविष्य में कांगे्रस पार्टी पूरे राज्य मंे और अधिक मजबूती के साथ उभरकर आयेगी तथा प्रदेश कांग्रेस अध्

संस्कृति विभाग के कलाकारों के मानदेय दुगना करेगी सरकार

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संस्कृति विभाग के कलाकारों के मानदेय को दुगना किये जाने पर सहमति व्यक्त की है। प्रदेश के संस्कृति कर्मियों के मानदेय में उनके परिश्रम एवं समर्पण भाव के दृष्टिगत उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृति एवं कला परिषद घनानन्द ने संस्कृति कलाकारों के मानदेय को दुगना किये जाने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया था, जिस पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अपनी लोक संस्कृति के प्रति समर्पित कलाकारों के हित में यह निर्णय लिया है।

तुलाज संस्थान में जीवन कौशल पर सत्र आयोजित

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  देहरादून। तुलाज इंस्टीट्यूट में परागांव शैक्षिक कंसल्टेंसी के प्रेरक गुरु निदेशक डॉ राघवेंद्र स्वामी द्वारा जीवन कौशल पर एक सत्र  आयोजित किया गया। डॉ स्वामी अपने क्षेत्र के एक प्रमुख वक्ता हैं जो गरीबों को शिक्षित करने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों में 100 से अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक सभाओं को संबोधित किया है। सम्मेलन दो अलग-अलग सत्रों में आयोजित किया गया था और छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी बहुत ही मनोरम था। डॉ स्वामी ने छात्रों को विभिन्न शिक्षण कौशलों के बारे में बताया और यह कैसे एक व्यक्ति को विकसित करने में मदद करते हैं। उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि कैसे एक को लक्ष्य उन्मुख होना चाहिए और विविध कौशल होना चाहिए। संगोष्ठी का समापन निदेशक तुलस संस्थान डॉ निशित सक्सेना के आभार के साथ हुआ।

तुलाज संस्थान में जीवन कौशल पर सत्र आयोजित

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  देहरादून। तुलाज इंस्टीट्यूट में परागांव शैक्षिक कंसल्टेंसी के प्रेरक गुरु निदेशक डॉ राघवेंद्र स्वामी द्वारा जीवन कौशल पर एक सत्र  आयोजित किया गया। डॉ स्वामी अपने क्षेत्र के एक प्रमुख वक्ता हैं जो गरीबों को शिक्षित करने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों में 100 से अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक सभाओं को संबोधित किया है। सम्मेलन दो अलग-अलग सत्रों में आयोजित किया गया था और छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी बहुत ही मनोरम था। डॉ स्वामी ने छात्रों को विभिन्न शिक्षण कौशलों के बारे में बताया और यह कैसे एक व्यक्ति को विकसित करने में मदद करते हैं। उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि कैसे एक को लक्ष्य उन्मुख होना चाहिए और विविध कौशल होना चाहिए। संगोष्ठी का समापन निदेशक तुलस संस्थान डॉ निशित सक्सेना के आभार के साथ हुआ।

शहीद गजेन्द्र सिंह बिष्ट द्वार का लोकार्पण एवं अनुसुया प्रसाद द्वार का शिलान्यास किया

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  देहरादून। हमले में शहीद हुए 10 पैरा रैजीमेंट के वीर योद्वा शहीद गजेन्द्र सिंह बिष्ट के नाम से शिमला बाईपास रोड़ एवं भारत पाकिस्तान युद्व में शहीद हुए 10 महार रैजीमेंट के अनुसुया प्रसाद के नाम से भाऊवाला में शहीद द्वार बनाये गये हैं। इन शहीद द्वारों का निर्माण हंस फाउंडेशन द्वारा कराया जा रहा है। शहीद गजेन्द्र सिंह बिष्ट को मरणोपरान्त अशोक चक्र एवं शहीद अनुसुया प्रसाद को मरणोपरान्त महावीर चक्र से नवाजा गया।         हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला ने अपने सम्बोधन में कहा कि शहादत की दुख को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि जीवन में सुख और दुख आता-जाता है किन्तु अपने पति या पुत्र की शहादत का दुख असहनीय होता है। उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है और यहां के प्रत्येक परिवार का व्यक्ति भारत की रक्षा के लिए सीमाओं पर अपनी सेवाऐं देता है। उन्होनें कहा कि सरकारों कितना भी सहयोग करें किन्तु हम शहीद हुए बेटों, भाईयों को वापस नहीं ला सकते। उन्होनें कहा कि शहीद द्वार बनाने का सम्बन्ध शहीद की याद को जिंदा रखने से है। उन्होनें बताया कि उनके पिता भी तत्काली