Posts

जौनसार-बावर मां हर तरफ बिखरियू छ ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सामाजिक अर सांस्कृतिक वैभव

Image
देहरादून, वीरेंद्र दत्त गैरोला । देहरादून जिला का जौनसार-बावर क्षेत्र मां हर तरफ ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सामाजिक और सांस्कृतिक वैभव बिखरियू छ। जौनसार-बावर कू इलाकू 463 वर्ग मील में फैलियू छ। ये का पूरब मा यमुना नदी, उत्तर दिशा में उत्तरकाशी व हिमाचल कू कुछ क्षेत्र, पश्चिम मां टौंस नदी अर दक्षिण मां पछवादून-विकासनगर क्षेत्र पड़दू। ये क्षेत्र मा कई बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल छन, जौं मां कि चकराता भी शामिल छ। जौनसार-बावर मां पत्थर अर लकड़ी सी बणिया पारंपरिक मकान पगोड़ा शैली मा छन। यख कुड़ों की ढलावदार छत पहाड़ी स्लेटी पत्थर सी बणी छन। द्वि, तीन या चार मंजिल का कूड़ों की हर मंजिल पर एक सी चार कमरा बणिया छन। सर्दी मा यी मकान सर्द नी होंदन। एक और खास बात य छ कि यों कूड़ों का निर्माण मां ज्यादातर देवदार की लकड़ी कू इस्तेमाल होंद। तैं पर करयीं बरीक नक्काशी की खूबसूरती देखदू ही बणदी। ट्रेकिंग का शौकीनों तैं जौनसार-बावर की खूबसूरत वादियां बहुत ही अनुकूल छन। जब सीजन अनुकूल रंद त यख पर्यटकू की भीड़ लग जांदी। साहसिक पर्यटन का लिहाज सी चकराता की पहाड़ियां ट्रेकिंग अर रेफलिंग का शौकीनों तैं मुफीद माणी जांदीन। च

गर्मी का मौसम मां बणियू रंदू बीमारियों कू खतरा

Image
देहरादून, वीरेंद्र दत्त गैरोला। गर्मी का मौसम मां गर्म हवाओं अर तेज धूप की वजह से तरह-तरह की बीमारियों कू खतरा बणियू रंदू। गर्मी मां शरीर मां पानी की कमी होण या लू लग जाण, दस्त और उल्टी की समस्या आम तौर पर देखी जांद। गर्मी का दिनों मां हमू तैं अपनी डाइट पर खास ध्यान रखण की जरूरत होंद। बासी खाणू अर फ्रिज मां रखियां फूड का सेवन से परहेज करियू चैंद। ये सी फूड पॉइजनिंग कू खतरा होंद। नारियल पाणी खूब पिनियू चैंद। न्यूट्रिएंट्स अर इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर नारियल पाणी गर्मी का दिनों तैं वरदान साबित होंदू। नारियल पाणी में मिलण वाला इलेक्ट्रोलाइट्स बॉडी तैं डिहाइड्रेशन सी बचैंदन। पेट तैं ठंडू रखण का साथ ही ये एसिडिटी अर ब्लोटिंग जनी समस्याओं से भी बचै सकदन। तरबूज कू सेवन गर्मियों मां बेहद फायदेमंद होंद। ये मां 92 प्रतिशत तक सिर्फ पानी की मात्रा होंद। गर्मी का दिनों मां यू शरीर तैं ठंडू रखण का साथ ही हाइड्रेटेड रखण मां सहायक होंद। ये मां विटामिन ए अर सी पाए जांद। साथ ही यू एंटीऑक्सिडेंट सी भी भरपूर होंद। यू शरीर मां रोगों सी लड़न की क्षमता कू भी विकास करदू। गर्मियों का दिनों मां खीरा अर ककड़ी कू स

स्वरोजगार अपनै तैं रोके जै सकदू पलायन

Image
देहरादून, वीरेंद्र दत्त गैरोला। उत्तराखंड मां पलायन एक बड़ी समस्या छ। पलायन का कारण गौं का गौं खाली ह्वैगीन अर कई गौं खाली होणा का कगार पर पहुंची गैन। स्वरोजगार शुरु करी तैं हम पलायन तैं रोकी सकदन। बागवानी व सगंध खेती काफी लाभकारी साबित ह्वै सकदी। यख काष्ठ शिल्प तैं भी विकसित करण की जरूरत छ। उत्तराखंड मां विश्व प्रसिद्ध चार धाम छन। यों दिन चारधाम यात्रा चलणी छ, बड़ी संख्या मां तीर्थयात्री चारधाम यात्रा मां पहुंचणा छन। लकड़ी पर गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ अर केदारनाथ धाम की प्रतिकृतियांें तैं उकेरी तैं श्रद्धालुओं तैं बेचे जै सकदू। ये कि खातिर उद्यमियों तैं अगनै औंण पड़लू। स्थानीय स्तर पर रिंगाल अर बांस कू आकर्षक सामान बणैं तैं तीर्थयात्रियों तैं बेचे जै सकदू। आज जब प्लास्टिक पर्यावरण तैं बहुत नुकसान पहुंचैणू छ त वैकू विकल्प दिये जै सकदू। पहाड़ों मां पहली सी ही पत्तों सी बणी थालियांे व कटोरियों पर सामूहिक भोज करणू प्रचलित रही। आज भी अगर ये तैं आधुनिक तकनीक सी जोड़ दिए जौ त यू रोजगार की खातिर बहुत बड़ू अवसर बणी सकदू। पत्तल कू पूरा देश मां बड़ू बाजार छ। पहाड़ मां चीड़ की पत्तियां काफी मात्रा मां

उत्तराखंड में लगातार सूख रहे प्राकृतिक जलस्रोत

Image
देहरादून। अनियंत्रित विकास कार्यों का प्रभाव भूमिगत जल पर पड़ रहा है। पिछले 30 से 40 सालों में उत्तराखंड में करीब एक लाख प्राकृतिक जल स्रोत सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए समुदाय पर आधारित जल स्रोत प्रबंधन केंद्र बनाए जाने की आवश्यकता है। इन प्रबंधन केंद्रों पर स्थानीय पंचायतों की भूमिका भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उत्तराखंड की सदानीरा नदियों में 65 फीसदी जल प्राकृतिक स्रोतों का है। लेकिन बारिश की अनियमितता व अनियंत्रित विकास निर्माण कार्य भूमिगत जल को प्रभावित कर रहे हैं। सड़क व सुरंगों के निर्माण से जलभृत क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। जिससे प्राकृतिक स्रोत सूख रहे हैं या सूखने के कगार पर पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 30 से 40 सालों में उत्तराखंड में कई प्राकृतिक जल स्रोत सूखे हैं और कुछ सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। जल जीवन की निरंतरता का महत्वपूर्ण संसाधन है जो आज हर जगह संकट में है। प्रदेश में करीब 18000 जलस्रोत जलवायु परिवर्तन और अन्य कारणों से सूख चुके हैं। उत्तराखंड अपनी भौगोलिक पृष्ठभूमि के कारण देश का सबसे समृद्ध जल संसाधनों वाला प्रदेश ह

इस विश्व प्रसिद्ध घाटी में खिलते हैं 500 से अधिक प्रजातियों के फूल

Image
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी एक बेहद खूबसूरत स्थान है। यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध प्राकृतिक अजूबों में से एक है। फूलों की घाटी समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह घाटी प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकर्स दोनों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहाँ वह सब कुछ है जो आप छुट्टियों में चाहते हैं जैसे पहाड़ की चोटियाँ, झीलें, नदियाँ और घाटियाँ। फूलों की घाटी का तल रंग-बिरंगे फूलों से ढका हुआ है जो मानसून के मौसम में खिलते हैं, यह एक असाधारण दृश्य बनाते हैं। यह पार्क न केवल अपनी लुभावनी सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका एक समृद्ध इतिहास भी है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि यह एक ऐसी जगह है जहाँ देवता खेल खेलते थे और अपना मनोरंजन करते थे। इस वर्ष 1 जून को फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुलेेगी, जो कि 30 अक्तूबर तक खुली रहेगी। यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं। अंग्रेजी में इसे वैली ऑफ फ्लावर्स कहते हैं। फूूलों की घाटी में मुख्य रूप से बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, इन्डुला, कम्पानुला, मोरिना, इम्पेटिनस, लोबिलिया, एक्युलेगिया, एनीमोन, जर्मेनियम, मा

पेसल वीड स्कूल ने आयोजित किया साहित्यिक उत्सव, इंटर हाउस वाद-विवाद, कहानी, कविता और भाषण प्रतियोगिता आयोजित

Image
देहरादून। द पेसल वीड स्कूल का डब्ल्यू.सी. कश्यप मेमोरियल ऑडिटोरियम इंटर हाउस अंग्रेजी और हिंदी वाद-विवाद, कहानी, कविता और भाषण प्रतियोगिता के उत्साही प्रतिभागियों के गूंजते शब्दों से गूंज उठा। सीनियर कक्षा के प्रतिभागियों ने सदी के सबसे व्यापक विषय के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया ने मानव संचार में सुधार किया है। माध्यमिक स्कूल के छात्रों के लिए अंग्रेजी भाषण के विषय थे-समय का मूल्य, अनुशासन, स्वास्थ्य और खेल। हिंदी वाद-विवाद के लिए विषय था श्ऑनलाइन शिक्षा ही भविष्य है और भाषण के विषय थे खेलो का महत्व एवम मेरे सपनो का भारत। प्रतियोगिता में और रंग जोड़ा गया, जिसमें प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों ने कविता पाठ और कहानी कहने का जीवंत आकर्षण लाया गया। प्रतियोगिता का आयोजन द पेसल वीड स्कूल के अध्यक्ष डॉ. प्रेम कश्यप और पेसल वीड स्कूल के निदेशक शरद कश्यप की उपस्थिति में किया गया। इस कार्यक्रम का निर्णायक अनीता विजयन के द्वारा किया गया, जो की एक शिक्षाविद हैं, जिनको पिछले ढाई दशकों से अधिक का अनुभव है, नयनिका और शुभम एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रतियोगिता में सभी चार सदनों अर्थात् सुभाष, टैगोर, न

विश्व प्रसिद्ध गुरूद्वार हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले

Image
चमोली/देहरादून। विश्व प्रसिद्ध गुरूद्वारा श्री हेमकुण्ट साहिब जी के कपाट आज श्रृद्धालुओं के लिये विधिवत् अरदास के साथ खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही आज इस शुभ अवसर पर लगभग 2000 संगतों की उपस्थिति में श्री हेमकुण्ट साहिब जी की पावन यात्रा का भव्य रूप से शुभारंभ हो गया है। वैसे तो यात्रा का आगाज ऋषिकेश गुरूद्वारा परिसर से पहले जत्थे के प्रस्थान करने के साथ ही हो गया था। 22 मई को उत्तराखण्ड राज्य के राज्यपाल ने धार्मिक अनुयायियों के साथ मिलकर जत्थे को रवाना किया था जो कि 23 मई को गुरूद्वारा गोबिंद घाट में ठहरकर 24 मई को पैदल चलते हुए गोबिंद धाम (घांघरिया) पहुंचा था तथा रात्रि विश्राम करके आज जत्थे ने हेमकुण्ट साहिब के लिए प्रस्थान किया। प्रातःकाल से ही हजारों की संख्या में देश विदेश से श्रृद्धालु हेमकुण्ट साहिब पहुंचने लगे थे। आज इस विशेष अवसर पर पंच प्यारों की अगुवाई में जत्थे ने ‘‘जो बोले सो निहाल’’ के जयकारों व ंबैंड बाजों की धुनों के साथ कीर्तन करते हुए यात्रा के अंतिम पड़ाव श्री हेमकुण्ट साहिब पहुंचकर गुरू महाराज के श्री चरणों में अपनी हाजिरी भरी। गुरूद्वारा प्रबंधक सरदार गुरनाम सिंह व