एचआरडीए की अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़ी कारवाई

हरिद्वार। हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए कनखल के पुरूषोत्तम विहार में बिना मानचित्र स्वीकृति के निर्माणाधीन आवासीय इकाईयों को सील कर दिया।  लंबे समय के बाद एचआरडीए ने बड़े स्तर पर इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया। दीपक रावत नेे एचआरडीए में वीसी पद व सरदार हरवीर सिंह ने सचिव पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से विभागीय अधिकारी भी अवैध निर्माणों के खिलाफ खासे सक्रिय और धरातल कारवाई करते दिखाई देने लगे हैं।फिलहाल में अवैध निर्माणों पर एचआरडीए की कारवाई का शिकंजा कसने में आई तेजी के चलते बिल्डरों में खासा हड़कंप मचा हुआ है। तमाम कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर तीर्थनगरी में अवैध निर्माण कार्य जोरो पर हैं।

एचआरडीए से प्राप्त जानकारी के अनुसार एचआरडीए की टीम ने अवैध निर्माणों के खिलाफ सिलसिलेवार कारवाई करते हुए कनखल पुरूषोत्तम विहार स्थित एक अपार्टमैंट परिसर में धर्मपाल द्वारा अवैध रूप से निर्माणाधीन अपार्टमैंट , ललतारावपुल पर अवैध रूप से निर्माणाधीन दुकान व भोपतवाला में अनाधिकृत तरीके से किया जा रहा निर्माणाधीन होटल पर सील लगाने की कारवाई की हैं। कनखल पुरूषोत्तम विहार में अवैध तरीके से किए जा रहे आपार्टमैंट की काफी शिकायते मिलने के बाद एचआरडीए ने अनाधिकृत रूप से बिल्डिंग निर्माण किए जाने के संबंध में धारा 27 व धारा 28 के तहत निर्माणकर्ता को नोटिस जारी किए थे। मगर निर्माणकर्ता द्वारा नोटिस का संतुष्टिपूर्ण जबाब दाखिल नहीं किए जाने की स्थिति में एचआरडीए अधिकारियों ने बीते दिनों निर्माण सील करने के आदेश दिए थे । जिसके अनुपालन में विभागीय टीम द्वारा निर्माणाधीन अपार्टमैंट पर सील लगाने की कारवाई की गई। उधर सचिव हरवीर सिंह का कहना हैं कि अवैध निर्माण पर किसी भी दशा में ढील नहीं दी जाएगी। जल्द बड़े स्तर पर कुछ और कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। सीलिंग टीम में एई पंकज पाठक, जेई राजेन्द्र बहुगुणा ,उमापति भट्ट व गोविन्द सिंह सहित विभागीय कर्मी शामिल रहे।

Popular posts from this blog

व्यंजन प्रतियोगिता में पूजा, टाई एंड डाई में सोनाक्षी और रंगोली में काजल रहीं विजेता

नेशनल एचीवर रिकॉग्नेशन फोरम ने विशिष्ट प्रतिभाओं को किया सम्मानित

शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को एसएसपी को भेजा पत्र, DG शिक्षा से की विभागीय कार्रवाई की मांग