पलायन रोकने को द्वारी गांव के आशाराम ने जगाई आशा की किरण


घनसाली/पिलखी,वीरेंद्र दत्त गैरोला। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र से जहां लोग रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लगातार शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर उजड़ते गांवों को बचाने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवक हैं टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल। आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की लाभकारी खेती शुरु कर रोजगार के अवसर सृजित करने का काम किया है। उनके द्वारा गांव में करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी की खेती की जा रही है। आशाराम नौटियाल के इस कार्य से पलायन के चलते जन शून्य की ओर बढ़ते इस गांव में पलायन को रोकने की दिशा में एक आशा की किरण दिख रही है। रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने वाले युवाओं के लिए आशाराम प्रेरणासा्रेत हैं।
सरकार पलायन को रोकने के दावे करती है लेकिन उसके यह दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। जो लोग गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर पलायन को रोकने की दिशा में ईमानदारी से काम कर रहे सरकार यदि थोड़ा उनकी मदद कर ले तो निश्चित रूप से पलायन की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखती है। भिलंगना ब्लॉक के द्वारी गांव के काश्तकार आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की खेती शुरु कर गांव से पलायन कर रहे युवाओं को आइना दिखाया है। घनसाली-पिलखी क्षेत्र के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो रोजगार की तलाश में पहाड़ से पलायन कर रहे हैं। आशाराम बताते है कि 14 वर्ष पूर्व उन्होंने बड़ी इलायची का एक पौधा अपने खेत की मेढ़ पर लगाया था। जिस पर फसल लगने के बाद उन्होंने इसकी खेती करने का मन बनाया। धीरे-धीरे उन्होंने बड़े स्तर पर इसका उत्पादन शुरु किया। अब वह करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी का उत्पादन कर रहे हैं। स्थानीय बाजार में उचित मूल्य न मिलने के कारण उन्हें देहरादून के बाजार में यह इलाचयी बेचनी पड़ती है। इससे वह दो लाख रुपये प्रतिवर्ष की आमदनी प्राप्त कर रहे है। उनके द्वारा गांव में माल्टा, नींबू, हल्दी, अदरक की खेती की भी शुरु की गई है। आशाराम इलाइची का उत्पादन अपने दम पर कर रहे हैं, उद्यान विभाग द्वारा उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। उनका कहना है कि उन्होंने उद्यान विभाग से इस उत्पादन क्षेत्र में इलाइची की खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए घेरवाड़ करने की मांग की जा रही है लेकिन उद्यान विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार के उपेक्षित रवैये से आशाराम खिन्न हैं।


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