राप्रावि मातली की प्रधानाध्यापिका चंद्रकला शाह ने बदल दी विद्यालय की तस्वीर



उत्तरकाशी। एक ओर बदहाल शिक्षा व्यवस्था के चलते राजकीय प्राथमिक विद्यालयों से लोगों को लगातार मोहभंग होता जा रहा हैं, जिस कारण इन विद्यालयों में छात्र संख्या लगातार घटती जा रही हैं वहीं कुछ विद्यालय वहां कार्यरत शिक्षकों के समर्पण भाव के चलते ऐसे भी हैं जो कि पब्लिक स्कूलों टक्कर दे रहे हैं। ऐसा ही एक विद्यालय है राजकीय प्राथमिक विद्यालय मातली। यहां की प्राधानाध्यापिका चंद्रकला शाह बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देती हैं।  चंद्रकला शैलेश मटियानी शिक्षक पुरस्कार के लिए चुनी गई हैं ।

 

राजकीय प्राथमिक विद्यालय मातली की प्रधानाध्यापिका चंद्रकला शाह बिना सरकारी मदद के विद्यालय में लैपटॉप एवं प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट क्लास शुरू की। यही वजह है कि मातली गांव में 9 प्राइवेट स्कूलों के बावजूद ग्रामीण अपने बच्चों को उनके सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। वर्ष 1993 में हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे मोरी प्रखंड के गैंच्वाणगांव बेसिक स्कूल से अपनी सेवाएं प्रारंभ करने वाली शिक्षिका चंद्रकला शाह ने शुरूआती 14 वर्षों तक सड़क मार्ग से दूर दुर्गम पैदल दूरी पर स्थित विद्यालयों में सेवाएं दीं।इस दौरान वे बदाली ब्रह्मखाल और कोटबागी चिन्यालीसौड़ बेसिक स्कूल में तैनात रहीं। वर्ष 2005 से वह राजकीय प्राथमिक विद्यालय मातली में प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात हैं।



विद्यालय में शिक्षण के साथ ही वे स्कूल के बच्चों की निजी समस्याओं को भी प्राथमिकता में रखती हैं। कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने विद्यालय के तीन बच्चों की समस्या को देखते हुए उन्हें एक संस्था की मदद से देहरादून के अनाथाश्रम में प्रवेश दिलाया। अब ये बच्चे बेहतर शिक्षा दीक्षा पा रहे हैं। स्कूल में किताबों से पढ़ाई के साथ ही उनका फोकस खेलकूद, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों पर भी रहता है। उनके स्कूल के बच्चे निरंतर जनपद एवं राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।




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