पानी न मिलने पर ऋषि अत्री, पुलस्‍त्‍य और पुलह ने मानसरोवर झील से लाकर भरा था यहां पानी


देहरादून। इस खूबसूरत झील में नौकायन का आनंद लेने के लिए लाखों देशी-विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं। झील के पानी में आसपास के पहाड़ों का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। रात के समय जब चारों ओर बल्‍बों की रोशनी होती है तब तो इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। झील के उत्‍तरी किनारे को मल्‍लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्‍लीताल करते हैं। यहां एक पुल है जहां गांधीजी की प्रतिमा और पोस्‍ट ऑफिस है। यह विश्‍व का एकमात्र पुल है जहां पोस्‍ट ऑफिस है। इसी पुल पर बस स्‍टेशन, टैक्‍सी स्‍टैंड और रेलवे रिज़र्वेशन काउंटर भी है।


 

नैनी झील नैनीताल का मुख्‍य आकर्षण है। झील के दोनों किनारों पर बहुत सी दुकानें और खरीदारी केंद्र हैं जहां बहुत भीड़भाड़ रहती है। नदी के उत्‍तरी छोर पर नैना देवी मंदिर है। नैनीताल में तल्लीताल डाट से मछलियों का झुंड उनको खाना आदि देने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस झील के तट पर नैनीताल नगर स्थित है। पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से तब जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। स्‍कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्‍त्‍य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्‍होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील के बारे में कहा जाता है यहां डुबकी लगाने से उतना ही पुण्‍य मिलता है जितना मानसरोवर नदी से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।


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