अहंकारी व्यक्ति दूसरों पर आतंक करताः ब्रह्मकुमारी मंजू बहन


 

देहरादून। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाषनगर में सत्संग में प्रवचन करते हुए राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी मंजू बहन ने अहंकार के भिन्न-भिन्न रूपों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अहंकारी व्यक्ति दूसरों पर आतंक करता है, उन्हें अपने से घटिया मानकर उनसे दुव्र्यवहार करता हंै अपने रोब तले दबाए रखता है व अपमानित करता है। 

वह मिथ्या अभिमान में मानसिक संतुलन खो बैठता है, जिव्हा का दुरुपयोग करता है और एक दिन पर्वत से गिरने के समान अपने जीवन में चोट अनुभव करता है। तब उसे अपना सिर नीचा करना पड़ता है। अतः अहंकार अनेक झगड़ों की जड़ है। उन्होंने कहा कि अहंकार के नशे में मनुष्य यह भूल जाता है कि देह नश्वर है, धन और सत्ता सदा साथ नहीं रहते और यौवन तथा शक्ति भी अस्थिर हैं। अहंकार का एक रूप ज़िद्द है। मान-अपमान की इस मिथ्या धारणा के कारण ही मनुष्य अपना सबकुछ गँवा देता है परन्तु अपनी ज़िद्द नहीं छोड़ता। अहंकार का एक रूप अपनी महिमा सुनने कर चाव है। अहंकारी व्यक्ति अपनी सही आलोचना भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसे अपनी खुशामद और चापलूसी सुनने की आदत पड़ जाती है। और जो कोई भी उसकी बात पर प्रश्न उठाता है वह उसे अपनी आँख का शहतीर मानता है। अपनी बुराई छिपाने के लिए वह दम्भ को अपनाने लगता है और दिनोंदिन गिरावट की ओर बढ़ता है। अतः अहंकार के इस अशुद्ध रूप  को छोड़ कर इसे शुद्ध करने में ही मनुष्य का भला है। राजयोग द्वारा मनुष्य अहंकार मिटाकर निर्माण हो जाता है। कार्यक्रम में रामकुमार, शकुन्तला, कविता, प्रीति, ममता, टीटूराम, विजयलक्ष्मी, उमा रावत, कविता गुरुंग, जयपाल, यशोदा, सीता, रघुवीर आदि उपस्थित रहे।

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