अपने दिल में छुपी अलौकिक शक्ति को पहचानने के लिये अपने भीतर ध्यान देंः कमलेश डी. पटेल

 

 

देहरादून। राज योग मेडिटेशन के सहज मार्ग सिस्टम में चैथे आध्यात्मिक मार्गदर्शक कमलेश डी. पटेल का कहना है कि जिन चीजों का अधिक उपयोग किया जाता है, वे बीतते समय के साथ फीकी पड़ जाती हैं। उदाहरण के लिये, हमें खुशी पसंद है। दुख कौन चाहता है? क्या हम दुख को आमंत्रित करते हैं? कोई नहीं करता। हम हर समय खुशी ही चाहते हैं, इसलिये अपनी इंद्रियों का अत्यधिक उपयोग करते हैं- शारीरिक और भावनात्मक-खुद को खुशी से भरने के लिये। खुद को खुश रखने के लिये हमें भीतर और बाहर अधिक से अधिक प्रोत्साहन चाहिये। यह इंद्रियों का अत्यधिक उपयोग है, भीतरी और शारीरिक।

दर्द, दुर्गति और उदासी में क्या होता है? इन्हें कोई नहीं चाहता। यदि फिर भी यह हमारे रास्ते में आएं, तो हम इन पर ध्यान नहीं देते हैं- मानो ध्यान नहीं देने से वे चले जाएंगे! चूंकि हम इन्हें नहीं चाहते हैं, इसलिये थोड़ी दुर्गति भी हमारे लिये बड़ी होती है। अत्यधिक उपयोग से खुशी फीकी पड़ जाती है, जबकि उदासी पर ध्यान न देने से वह विकट होती जाती है। यह आपको रेजर की तरह काटती है। आप उससे जितना बचते हैं, वह उतना ही आपको परेशान करती है। अपेक्षाएं भी ऐसी ही होती हैं, यदि हम अपने परिजनों से बहुत ज्यादा अपेक्षा करते हैं, तो वह भी भावनात्मक स्तर पर फीकी होती जाती है। ऐसा नहीं है कि मैं आपसे दुख को अपनाने के लिये कह रहा हूँ, लेकिन यदि वह आपके रास्ते में आता है, तो उसे छोटा मत समझिये। जब आपकी इंद्रियाँ दुख, आदि को झेलें, तब उससे गुजरिये और भगवान को धन्यवाद दीजिये। सुख और दुख हमेशा के लिये नहीं होता है। क्या आप हवा को अपनी मुट्ठी में रख सकते हैं? नहीं। यह क्षणिक है। भावनात्मक उतार-चढावों पर भी यही लागू होता है। इसलिये अपने भीतर छुपे भगवान पर ध्यान देना ठीक रहता है, जोकि आपके दिल में मौजूद अलौकिक शक्ति है। चाहे आप भगवान को न मानें, फिर भी यह ठीक है। इस प्रकार ध्यान लगाएं कि आपके मस्तिष्क का संतुलन बना रहे। संतुलित अवस्था में ही आप जीवन का आनंद ले सकते हैं।

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