जोखिम आपदा प्रबन्धन के लिए समर्थन प्रणाली को विकसित किया गया


 

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण उत्तराखण्ड सरकार, एशियन इन्सटिट्यूट आॅफ टैक्नालाॅजी थाईलैण्ड एवं विश्व बैंक द्वारा पोषित उत्तराखण्ड डिजास्टर रिकवरी परियोजना के सौजन्य से राज्य में जोखिम आपदा प्रबन्धन हेतु एक निर्णय समर्थन प्रणाली को विकसित किया गया, जिसका उद्देश्य जोखिम की निगरानी, पूर्व चेतावनी, आपदा पूर्व तैयारी, आपदा के समय प्रतिवादन तथा आपदा उपरान्त पुननिर्माण कार्यों को सुचारू रूप से किये जाने तथा त्वरित निर्णय लिए जाने हेतु किया गया। इसी क्रम में डेटाबेस को आपदा प्रबन्धन विभाग से जुड़े विभिन्न विभागों, संस्थानों को इससे परिचित कराये जाने हेतु आज पैसेफिक होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान प्लेटफार्म तथा मोबाइल ऐप्प का विमोचन किया गया गया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतिभाग किया गया है। इस अवसर पर उन्होने कहा कि इस डेटा बेस को किसी भी आपदा की स्थिति में सम्बन्धित विभाग तक त्वरित निर्णय लिये जाने एवं फील्ड स्टाफ हेतु उपयोगी होगा, जो आपदा के दौरान प्रभावित जनमानस की मदद करेगा, जिससे आपदा के दौरान क्षतिपूर्ति को कम करने में सहायता मिलेगी। कार्यशाला में सम्बोधन करते हुए सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी ने कहा कि राज्य में आपदा के समय बेहतहर रिसपांस के लिए भविष्य की आपदा के परिपेक्ष्य में बेहतर पाॅलिसी बनाये जाने से आपदा के दौरान जनहानि को कम किये जाने के लिए इंसिडेन्ट रिस्पांस सिस्टम को मजबूत बनाने में यह डेटा सहायक होगा। कार्यशाला में रिद्धम अग्रवाल अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण ने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों से सभी विभागों के मध्य बेहतर समन्वय एवं सटीक सूचना के आदान-प्रदान, संसाधनों को बेहतर तरीके से आपदा प्रभावित इलाकों में पंहुचाने पर बल दिया।

इस अवसर पर आईआरएस विशेषज्ञ राज्य आपदा प्रबन्धन बी.बी गणनायक ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रणाली में सम्भावित आपदा भूकंप, बाढ, भूस्खलन, त्वरित बाढ और औद्यागिक खतरों के लिए जोखिम विश्लेषण अध्ययन, राज्य की सरकारी भवनों की घातकता आंकलन आदि का समस्त डाटा तथा रिवर मोर्फोलाजी अध्ययन के अन्तर्गत राज्य की चार प्रमुख नदियों भागीरथी, अलंनंदा, काली एवं मंदाकिनी के अन्तर्गत बनाया गया है जो इस प्लेटफार्म का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि इस प्लेटफार्म से केन्द्रीय संस्थानों का रियल टाइम डाटा तथा बेस लाईन डाटा को उपयोग में लाया जायेगा, जिससे राज्य के विभिन्न विभागों ध्संस्थानों में इस प्लेटफार्म के माध्यम से बेहतर सामंजस्य हो  सकेगा तथा आपदा के दौरान सही निर्णय लिये जाने में सहायता होगा। कार्यशाला में जिलाधिकारी टिहरी वी षणमुगम, विश्व बैंक प्रतिनिधि दीपक मलिक, डाॅ मंजूल हजारिका, अधिशासी निदेशक आपदा न्यूनीकरण डाॅ पीयूष रौतेला, नोडल अधिकारी गिरीश जोशी सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारीध्कार्मिक उपस्थित थे।

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