कुमाऊं मंडल में सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में कुमाऊंनी शामिल

नैनीताल। कुमाऊं मंडल में सरकारी स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में कुमाऊंनी को भी शामिल कर लिया गया है। पौड़ी गढ़वाल में गढ़वाली बोली को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बाद अब कुमाऊं के स्कूली बच्चों को पाठशाला में कुमाऊंनी बोलने व सीखने का अवसर मिलेगा। शनिवार को नैनीताल के उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में कुमाऊंनी में तैयार आधा दर्जन पुस्तकों का विमोचन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव मुख्यमंत्री राजीव रौतेला के निर्देशन में इन पुस्तकों को शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया गया है।
सचिव सीएम व एटीआइ निदेशक राजीव रौतेला ने कहा कि आंचलिक भाषाओं का इतिहास समृद्ध रहा है।  कुमाऊंनी-गढ़वाली अध्यात्म के साथ ही आपस में क्षेत्रीय एकता को मजबूत बनाती हैं। राष्ट्रीय एकता की भी प्रतीक भी हैं। उत्तराखंड की भाषाओं में सहजता एवं प्राकृतिक सौंदर्य का बोध होता है। उन्होंने माना कि आधुनिकता की दौड़ में नई पीढ़ी कुमाऊंनी-गढ़वालीसमेत आंचलिक भाषा-बोली से दूर हो रही है। बच्चे इन भाषाओं को बोलने मे हिचकने के साथ ही भाषाओं को बोलने मे असमर्थ भी हो रहे हैं। मुख्यमंत्री की प्रेरणा से कुमाऊं के प्राथमिक विद्यालयों में कुमाऊंनी भाषा में तैयार पुस्तकें बच्चों को उपलब्ध कराई जाएंगी। शीर्षक धगुली, हंसुलि, छुबकि एवं झुुमकि से कुमाऊंनी भाषा की किताबें तैयार की गई हैं। कुमाऊं मंडल में करीब 20 हजार किताबें भेजी जाएंगी। प्रथम चरण में 10 हजार 500 किताबें भेजी जा रही हैं। नैनीताल के ब्लॉक भीमताल, अल्मोड़ा के हवालबाग, बागेश्वर के विकासखंड बागेश्वर, पिथौरागढ़ के ब्लॉक विण, चंपावत के ब्लॉक चम्पावत तथा ऊधमसिंह नगर के ब्लॉक रुद्रपुर के सरकारी विद्यालयों मे यह पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी। अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से इन ब्लाकों के प्राथमिक स्कूलों में कुमाऊंनी पाठ्यक्रम शुरू हो जाएगा।
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