परमार्थ निकेेतन में ’लीव नो वन बिहाइंड समिट’ का विधिवत उद्घाटन


-वाॅटर, सैनिटेशन और हाइजीन के क्षेत्र में कोई पीछे न छुट जाये

 

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय 'लीव नो वन बिहाइंड वैश्विक शिखर सम्मेलन' का आज विधिवत उद्घाटन छः धर्मो के धर्मगुरूओं यथा हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म, इस्लाम धर्म और क्रिश्चियन धर्म ने किया। इस शिखर सम्मेलन में परमार्थ निकेेेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, उलेमा फाउंडेशन आॅफ इंडिया के प्रमुख, मौलाना कोकब मुजतबा जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, सरदार परमजीत चंडोक, दिल्ली गुरूद्वारा बंगला साहिब, ईसाई धर्मगुरू बैंगलोर से पादरी फिलिप, बिहार से साध्वी शिलाची जी, असम से मुफ्ती नसीहुर रहमान जी, किन्नर अखाड़ा महामण्डलेश्वर श्री लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी तथा विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने सहभाग किया। 

डब्ल्यू एस एस सी सी के भारत मंे समन्वयक श्री विनोद मिश्रा जी, नई दिल्ली से आये एनरिको, अध्यक्ष हरिजन सेवक संघ प्रो शंकर सान्याल जी, श्री आशीष अग्रवाल जी, श्री प्रियवरन मित्रा जी, रूबल नागी, उर्मिला श्रीवास्तव जी, फेन्स के प्रतिनिधि श्रीधर जी, स्नेहलता जी, मुरली जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों और विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने दीप प्रज्जवलित कर वाटर, सैनिटेशन और हाइजीन के लिये एकजुट होने का संदेश दिया। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में जिनेवा से आये श्री जेम्स, जीवा, डब्ल्यू एस एस सी सी और एफएनएएसए के संयुक्त तत्वाधान में इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और विभिन्न क्षेत्रों के लोगो के सामाजिक जुड़ावों को बढ़ावा देने हेतु योगदान प्रदान करना तथा भारत सरकार के प्रयासों और स्वच्छ भारत मिशन को सहयोग और समर्थन प्रदान करना है एवं ''लीव ''लीव नो वन बीहाइंड'' तथा भारत सरकार के ओडीएफ प्लस के मौजूदा लाॅच को पूर्ण सहयोग प्रदान करना है। साथ ही  भारत सरकार की संयुक्त राष्ट्र टीम को वर्ष 2020 की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा हेतु भारत सरकार को समर्थन और सहयोग प्रदान करना है।

इस शिखर सम्मेलन में केन्द्र और राज्य सरकार, नागरिक समाज, निजी क्षेत्रों, मीडिया, खेल आदि के अलावा सभी सम्बंधित संस्थानों और संगठनों के 10 से 15 सदस्यों ने सहभाग किया। इन्हें 15 समूहों में वर्गीकृत किया गया। इस 15 समूहों के सदस्यों को सतत विकास लक्ष्य, एसडीजी 6 तथा संयुक्त राष्ट्र टीम के दिशानिर्देशों और विभिन्न समूहों के लिये तैयार संचरित प्रश्नावली का उपयोग करके वाॅटर, सैनिटेशन और हाइजीन के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के समाधान हेतु दिशानिर्देश दिये जा रहे है।

लीव नो वन बिहाइंड शिखर सम्मेलन में युवा, महिलायें, बच्चे, दलित, आदिवासी, ट्रांसजेंडर और लेस्बियन, प्रवासियों, शहरी गरीब, विकलांग लोग,  बुजुर्ग, किशोर, किसान और भ्प्ट से पीड़ित लोग, झोंपड़ीवासी, बेघर, मैला ढोने वाले, यौनकर्मी आदि को भारत के विभिन्न राज्यों से 250 से अधिक लोगो को आंमत्रित किया गया है। तीन दिनों तक उन्हें वाॅटर, सैनिटेशन और हाइजीन, मासिक धर्म स्वच्छता, स्वास्स्थ्य, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (जैविक, प्लास्टिक, ग्रे वॉटर और मल, कीचड़ प्रबंधन) प्रशिक्षित किया जायेगा। वास्तव में यह शिखर सम्मेलन स्वच्छ भारत मिशन को और आगे ले जाने में सहायक सिद्ध होगा। श्री विनोद मिश्रा जी ने लीव नो वन बिहाइंड समिट के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि इसमें भारत के 20 राज्यों के 20 से अधिक संगठनों ने सहभाग किया है। जुलाई 2020 में पूरे विश्व की एसडीजी रिपोर्ट (जिसमें वाटॅर, सैनिटेशन और हाईजीन शामिल है) जानी है। इसमें भारत सरकार भी अपनी रिपोर्ट भेंजेगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य है कि समाज के ये 14 समूहों के लोगों के प्रतिनिधियों से जानकारी प्राप्त करना कि सरकार द्वारा जारी की गयी स्वच्छ भारत मिशन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है और कितना मिल पा रहा है इस पर रिपोर्ट लेना और इन योजनाओं तक सब की पहुंच बनाना। ओडीएफ $ के माध्यम से जो भी स्वच्छता के क्षेत्र में पीछे रह गये है उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ''मानव-मानव एक समाज सबके कहा कि कल शाम को मेरे पास सेक्सवर्कर सलमा, सरनसाना बहन आयी मुझसे बात की और कहा कि दुनिया में परमार्थ निकेतन एक ऐसी जगह है जहां आकर लगा की हम अपने मायके में है। लगता है हमें जब भी जरूरत होगी हमारे लिये इसके द्वार खुले है।  स्वामी जी ने कहा कि सब के दर्द को अपना दर्द समझंे। ईशावास्यमिंद सर्वम्, ''ये पहला सबक है किताबे खुदा का कि मखलूक सारी है कुनबा खुदा का'' को अपने जीवन का मंत्र बनाना होगा। हम सभी एक पिता की सन्तान हैं और इसके लिये हमें अपनी सोच को बदलना होगा। भय के साथ नहीं भाव के साथ जीना होगा। उन्होने कहा कि समाज में जो लोग पीछे छुट गये है उन्हें देखकर हमारे दिल में दर्द होना चाहिये। 

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