सीएसआर प्रोग्राम के तहत छह चैंपियन स्कूलों को सम्मानित किया
देहरादून। स्वयंसेवी संगठन, 'सस्टेनेबल एनवायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स)' के एक कार्यक्रम में छह स्कूलों को स्कूल सुरक्षा चैम्पियन घोशित किया गया है। सीड्स पूर्वी दिल्ली में एक व्यापक स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम को लागू कर रहा है और इसी के मद्देनजर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और छात्रों को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सम्मानित किया।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “स्कूलों पर हमारे भविष्य के कर्णधारों के पोषण और षिक्षा की प्रमुख जिम्मेदारी है। इन स्कूलों ने आपदा तैयारियों की संस्कृति पैदा करने में अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया है, जो हमारे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” 2017 में पूर्वी दिल्ली के 50 सरकारी स्कूलों में षुरू किया गया, हनीवेल सेफ स्कूल्स कार्यक्रम के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चे बिना किसी डर के स्कूल जाएं, स्कूल में सुरक्षित रहें और सुरक्षित घर लौट सकें। यह एक अग्रणी स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम है जो प्रत्येक स्कूल या स्थान के अद्वितीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए जरूरत के अनुसार दृष्टिकोण पर अमल करता है, जिसमें इंजीनियरों और वास्तुकारों द्वारा संरचनात्मक मूल्यांकन भी षामिल है। इसके अलावा जोखिम धारणा का मूल्यांकन और किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के समय तैयारियों की जांच भी षामिल है। सीड्स के सह-संस्थापक डॉ. मनु गुप्ता ने कहा, “हमने 2005 में गुजरात में अपनी पहली स्कूल सुरक्षा पहल की षुरुआत की थी। हमने एक और अधिक प्रभावी कार्यक्रम बनाने के लिए 2017 में हनीवेल के साथ भागीदारी की। हनीवेल सेफ स्कूल्स कार्यक्रम ने पहले ही दिल्ली के 50 सरकारी स्कूलों में 52,000 बच्चों, 45,000 अभिभावकों और 2,200 शिक्षकों को सशक्त बनाया है।”सीड्स स्कूल परिसर के भीतर और आसपास जोखिम में तत्परता और तैयारियों के महत्व पर मानसिकता और व्यवहार में परिवर्तन लाने में मदद करने के लिए इन स्कूलों के प्रिंसिपलों और शिक्षकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह कार्यक्रम एक बाल-केंद्रित दृष्टिकोण का अनुसरण करता है, और इसमें छात्रों के लिए जागरूक होने और जोखिम को कम करने के लिए एक प्रभावी शिक्षण तंत्र शामिल है। कार्यक्रम में प्राकृतिक और मानव निर्मित खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करना, संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक जोखिमों की पहचान करना, स्कूल आपदा प्रबंधन योजनाएं बनाना और कार्यान्वयन करना, और आपदा की तैयारी और जोखिम को कम करने के लिए छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समुदायों का प्रशिक्षण षामिल है। यह सब इंटरेक्टिव सत्र, मॉक ड्रिल और पीयर-टू-पीयर लर्निंग के माध्यम से किया जाता है। बच्चों को डराना-धमकाना, हिंसा, दुव्र्यवहार और उपेक्षा जैसे मुद्दों का समाधान करने के लिए बाल संरक्षण पहल भी कार्यक्रम के प्रमुख घटक हैं। डॉ. गुप्ता कहते हैं, ''बच्चों को केवल आपातकालीन सहायता या जोखिम में कमी लाने का ही प्रषिक्षण देने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह कार्यक्रम वास्तव में, बच्चों को अपने समुदायों में बदलाव लाने वाले परिवर्तन दूत बनने में सक्षम बनाता है।'