आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क विद (मेटलेब) इम्पलीमेशन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित 


 

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विज्ञान विभाग में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क विद (मेटलेब) इम्पलीमेशन विषय पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो0 वी0के0 शर्मा ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि ऋग्वेद में कृत्रिम शब्द का वर्णन प्रार्थना के रूप में होता है। रामायण काल में कृत्रिम शब्द का वर्णन भय के रूप में देखा जा सकता है। कृत्रिम के माध्यम से कार्यो में प्रवीणता लायी जा सकती है। कृत्रिम संचार को विकसित कर नए-नए प्रशिक्षणों में नेटवर्क का प्रयोग किया जा सकता है।          

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 दिनेश चन्द्र भट्ट ने कहा कि मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से स्वयं को मजबूत करना चाहिए। यदि व्यक्ति स्वयं से मजबूत है तो बाहरी आवरण को कृत्रिम रूप से मजबूत बना सकता है। कृत्रिम हमें शक्ति तो देता है मगर समय के अनुसार। उस शक्ति का प्रयोग हमारे आत्मविश्वास पर बहुत अधिक निर्भर होता है। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर के युग में कृत्रिम शब्द का प्रयोग आंकड़ों के प्रयोजन के लिए आवश्यक है। आंकड़े भी उसी प्रकार कृत्रिम रूप में तैयार किए जाए, जिनका सैद्धान्तिक प्रयोग हो सके। आंकड़े वहीं हमेशा लाभप्रद होते है जो सामाजिक धरा में उपयोगी होते हैं। आज का युग आंकड़ों के हिसाब से चल रहा है। इससे हमारे देश और समाज का भला होने वाला नहीं है। आई.क्यू.ए.सी. सैल के निदेशक प्रो0 श्रवण कुमार शर्मा ने कहा कि इस सेमिनार से प्रतिभागियों को एक नया ज्ञान प्राप्त होगा। जब ज्ञान हमारे अन्दर पल्लवित होता है तो हमारे अन्दर अहंकार का प्रादुर्भाव होता है। अहंकार से सदैव ज्ञान का हृास होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कृत्रिम ज्ञान को लेकर बहुत से प्रसंग दिए गए हैं। व्यास के पुत्र शुक्रदेव को ज्ञान प्राप्त हो गया तो उनके अन्दर अहंकार भी पल्लवित हुआ। अहंकार का क्षीण करने के लिए समय-समय पर परीक्षाएं देनी होती है। उन्होने कहा कि शब्द और अर्थ को मिलाकर काव्य का सृजन होता है और काव्य हमें इंसान बनाना सिखाता है। काव्य से  इंसान नए नए मानवीय समवेदनाओं का प्रयोग करता है। कृत्रिम नेटवर्क का प्रयोग आंकड़ों और सामाजिक सरोकार के लिए किया जाना उचित होगाद्य कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 विवेक कुमार ने कहा कि इस सेमिनार में मेटलेब का प्रयोग कम्प्यूटर में आंकड़ों के लिए किया जाता है। बड़े आंकड़े सैट के प्रबन्धन के लिए टूल और फंक्शंस के साथ मेटलैब मशीन, लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क, डीप लर्निंग, कम्प्यूटर विजन और स्वचालित ड्राइविंग के साथ काम करने के लिए विशेष टूलबाक्स प्रदान करता है।डा0 भीमराव अम्बेडकर, आगरा विश्वविद्यालय से आए रिसोर्स पर्सन डा0 एम0पी0 सिंह ने कहा कि मेटलेब को नेटवर्क की प्रक्रिया से जोड़ा जा सकता है। मेटलेब का साफ्टवेयर अब काफी प्रचलित हो चुका है और आर्टिफिशियल नेटवर्क का हिस्सा भी बनता जा रहा है।इस अवसर पर प्रो0 कर्मजीत भाटिया, प्रो0 नुपूर, प्रो0 हेमन पाठक कार्यशाला के संयोजक डा0 महेन्द्र सिंह असवाल, डा0 राजकुमार, डा0 प्रवीणा चतुर्वेदी, डा0 श्वेतांक आर्य, डा0 कृष्ण कुमार, द्विजेन्द्र पन्त, संजय कुमार, अजय इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन शोधार्थी नेहा और वैशाली ने किया।

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