अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे राज्यों के लिए विशेष योजना का अनुरोध किया गया हैः सीएम 


 

-फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में संवाद कार्यक्रम आयोजित 

 

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून में आयोजित संवाद कार्यक्रम उद्घाटन सत्र में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि  हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां समान हैं, समस्याएं समान हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में हिमालय कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया ताकि सभी हिमालयी राज्यों की समस्याओं एवं जानकारियों को साझा किया जा सके। कॉन्क्लेव के उपरान्त तैयार ड्राफ्ट को भारत सरकार को सौंपा गया है। जिससे हिमालयी राज्यों के लिए योजनाएं बनाते समय उनकी समस्याओं को ध्यान में रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे राज्यों के लिए विशेष योजना का अनुरोध भारत सरकार से अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमालय के जल स्रोतों में कमी आ रही है। जल संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु कोसी और रिस्पना नदियों के पुनर्जीवीकरण पर कार्य चल रहा है। हरेला पर्व के अवसर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे जनता का ध्यान इन समस्याओं की ओर बढ़ेगा। पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है। पलायन मजबूरी में नहीं होना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पलायन के मुख्य कारण हैं। उत्तराखण्ड में टेलीमेडिसिन एवं टेलीरेडियोलॉजी से दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचायी जा रही हैं। रोजगार के लिए राज्य की 670 न्याय पंचायतों को ग्रॉथ सेंटर में विकसित किया जा रहा है। सौंग बाँध के निर्माण के बाद देहरादून के आस पास के क्षेत्र में ग्रेविटी बेस्ड पानी उपलब्ध होगा। इससे एक ओर ग्राउण्ड लेवल वाटर में बढ़ोत्तरी होगी साथ ही इससे ऊर्जा की भी बचत होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों से बाड़ाहोती एवं नीति वैली में पर्यटन की दृष्टि से विकास हेतु सुझाव भी मांगे। इस अवसर पर सेवा इंटरनेशनल के श्याम परांदे, आईसीएफआरआई से सुरेश गैरोला, आईआईपी से सहायक निदेशक अमर कुमार जैन, एनएसडीसी से प्रकाश शर्मा एवं आईसीआईएमओडी से ब्रिज राठोड़ उपस्थित थे।

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