नियम विरुद्ध शिक्षकों को संबद्ध करने के आरोप में जिला शिक्षा अधिकारी को किया निलंबित 

पिथौरागढ़। उत्तराखंड शासन ने नियम विरुद्ध शिक्षकों को संबद्ध करने के आरोप में पिथौरागढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी शौकत अली को निलंबित कर दिया है। आरोप पत्र देते हुए उनसे 15 दिनों में जवाब मांगा गया है। निलंबित किए जाने के बाद उन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में संबद्ध किया गया है। बताया गया है कि आरोपी अधिकारी का इस माह सेवानिवृत्त होने वाला था। 

  पिथौरागढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक पर आरोप है कि उन्होंने जिले में बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति के कुछ शिक्षकों को दूसरे स्कूलों व कार्यालयों में संबद्ध किया। क्षेत्र की जनता एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों का संबद्धीकरण निरस्त करने के निर्देश दिए थे।

इसके बाद भी उन्होंने इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी संदुरम की ओर से जारी आरोप पत्र में कहा गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने उच्च अधिकारी के आदेश का पालन न करके अनुशासनहीनता की है। इस मामले में संबंधित अधिकारी ने 15 दिनों में जवाब न दिया तो यह समझा जाएगा कि उन्हें आरोप स्वीकार है। फर्जी मार्क्सशीट पर नौकरी पाने के मामले में श्रीनगर गढ़वाल के जीआईसी राड़ागाड़ के एक शिक्षक को मंडलीय अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल ने निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उक्त शिक्षक खंड शिक्षा अधिकारी दफ्तर में संबद्ध रहेगा। शिक्षक के खिलाफ गत वर्ष फरवरी माह में फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने के मामले में कोतवाली कीर्तिनगर में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने केस दर्ज करवाया था। प्रदेश में फर्जी मार्क्सशीट के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की एसआईटी ने जांच की थी, जिसमें विकासखंड कीर्तिनगर के राजकीय इंटर कॉलेज राड़ागाड़ में अंग्रेजी सहायक अध्यापक उपेंद्र सिंह का नाम भी सामने आया है। एसआईटी की जांच में पाया गया कि उक्त शिक्षक के स्नातक और परास्नातक के अंकपत्र संबंधी ब्योरा लखनऊ विवि में उपलब्ध नहीं है। जिस पर एसआईटी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर वैधानिक कार्रवाई की संस्तुति की थी। पत्र के अनुपालन में मंडलीय अपर शिक्षा निदेशक ने बीईओ को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। 13 फरवरी को 2019 को बीइओ ने उपेंद्र के खिलाफ जालसाजी कर सरकारी नौकरी पाने का केस दर्ज करवा दिया। मंडलीय अपर निदेशक महावीर बिष्ट ने बताया कि उपेंद्र को वर्ष 2008 में नियुक्ति मिली थी। मामले में शिक्षक पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया है।

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