परिसीमन जनसंख्या नहीं भौगोलिक आधार पर किया जायेः दिवाकर भट्ट

देहरादून। राज्य के 2026 में होने वाला परिसीमन कोे अगर जनसंख्या के आधार पर किया गया तो पहाड़ी राज्य का अस्तित्व खत्म हो जायेगा और फिर उत्तराखंड राज्य का क्या औचित्य रह जायेगा। पहाड़ के लिए हमने उत्तराखंड राज्य की मांग की थी इसलिए उत्तराखंड क्रान्ति दल आगामी विधानसभा का परिसीमन भौगोलिक आधार चाहता है।

यह बात आज पे्रसवार्ता के दौरान उत्तराखण्ड क्रांति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट द्वारा कही गयी। उन्होंने कहा कि  पूर्वोत्तर राज्यों और हिमाचल के परिसीमन का आधार भौगोलिक रहा है। पंडित नारायण दत्त तिवारी की सरकार के दौरान उत्तराखंड के उघोगों में स्थानीय लोगों को 70 प्रतिशत रोजगार की बाध्यता आज तक लागू नहीं हुई। जबकि उघोगों में ठेकेदारी प्रथा चले आ रही है। उन्होंने कहा कि उपनल के अंतर्गत सरकारी विभागों में संविदा कर्मचारियों को सरकार नियमित करे। समूह ग के अंतर्गत स्थानीय लोगो की वरीयता को भाजपा सरकार ने खत्म कर राज्य के बेरोजगारों के साथ धोखा किया है। जिसका उनका दल घोर विरोध करता है। पहाड़ में गाँव के गाँव मानवविहीन होते जा रहे है। पलायन को रोकने के लिए ठोस हल अभी तक कोई भी सरकार नहीं निकाल पायी। वर्तमान सरकार ने पलायन आयोग एक सफेद हाथी बनाकर एक नया ढोंग खड़ा कर दिया।

दिवाकर भट्ट ने कहा कि आगनबाड़ी कार्यकत्री जो आज 40 दिन से जायज मांगो को लेकर आंदोलन व अनशन में है सरकार उनकी मांगों का सकारात्मक हल निकाले अन्यथा दल आंदोलन के लिए बाध्य होगा। प्रेस वार्ता में त्रिवेंद्र पंवार, एपी जुयाल, लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, प्रहलाद रावत, आशीष नौटियाल, किशन रावत, शांति भट्ट, राजेन्द्र बिष्ट, धर्मेंद्र कठैत सहित कई लोग मौजूद रहे।

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