शक्ति का अरुणोदय है वसंतः डॉ. पण्डया

-आचार्यश्री के 95वें आध्यात्मिक जन्मदिवस पर गृहे-गृहे यज्ञ उपासना का लिया संकल्प

 

-11 विवाह सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में सम्पन्न, बहिनों ने सजाई आकर्षक रंगोली

 

हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र शांतिकुंज में वसन्तोत्सव का मुख्य कार्यक्रम गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। धर्मध्वजा फहराने के साथ प्रारम्भ हुए वसंत पर्व आयोजन में गायत्री परिवार प्रमुख शैल जीजी एवं देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने विश्वभर से आये गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएँ दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने भावभरी पुष्पांजलि अर्पित कीं।

तीन दिवसीय वसंतोत्सव के प्रमुख कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत शक्ति का अरुणोदय है। वसंत जीवन का शृंगार करता है। प्रकृति व परमेश्वर के मिलन का महापर्व है वसंत। हंसवाहिनी माता के प्रादूर्भाव का दिन है। उन्होंने कहा कि इन दिनों वासंती संस्कृति पूरे विश्व में दिखाई दे रहा है। रुस, अमेरिका सहित अनेक देशों के लोग भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। गायत्री परिवार प्रमुख ने कहा कि लोगों में जब संस्कृति आती है, तब उनमें उदारता, सेवाभाव जैसे सद्गुण विकसित होने लगते हैं।

संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि वसंत उल्लास, उमंग का महापर्व है। वसंत पर्व के दिन ही लिपि का प्रादुर्भाव हुआ और इसी से ज्ञान का विस्तार हुआ और जनमानस में विकास दर बढ़ा है। रामायण आदि प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए शैलदीदी ने कहा कि भौतिक संपदा की तुलना में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रगति का महत्त्व ज्यादा है। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या व शैलदीदी ने पूज्य आचार्य की पुस्तकों का अंग्रेजी व तमिल भाषाओं में अनुवादित पाँच पुस्तकों का विमोचन किया।

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