वन वे प्लान का तमाशा आखिर कब तक


 

देहरादून। राजधानी दून की सड़कों पर इन दिनों जिस नये वनवे टैªफिक प्लान का ट्रायल किया जा रहा है उसे आम आदमी के लिए समझ पाना मुश्किल ही नहीं असंभव होता जा रहा है। कब उसे कहां से जाना है और कब कहां यू टर्न लेना है इसे समझना तो मुश्किल है ही, साथ ही उसके लिए अब यह समझना भी मुश्किल हो रहा है किस समय पुरानी व्यवस्था के अनुरूप चलना है और किस समय नई व्यवस्था के तहत चलना है। क्योंकि इन व्यवस्थाओं को घड़ी घड़ी बदला जा रहा है।  यातायात व्यवस्था बदले जाने की जानकारी न मिलने केे कारण लोग उल्टी सीधी तरह से चल रहे हंै, जिससे कि टकराव व तकरार की स्थिति भी पैदा हो रही है। इस नये वनवे टैªफिक प्लान को पुलिस द्वारा पहले एक दिन ट्रायल किया गया था। रविवार को अवकाश का दिन होने के बावजूद भी इस ट्रायल में भारी दिक्कतें पेश आयी। बीते कल 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के कारण इसे कल दोपहर तक लागू नहीं किया गया और यातायात पुरानी व्यवस्था पर ही संचालित किया गया। कल दोपहर बाद इसे फिर से लागू कर दिया गया। समझा जा रहा था कि अब सोमवार तक नया प्लान ही लागू रहेगा लेकिन रात दस बजे फिर से पुरानी व्यवस्था लागू हो गयी। जिसकी कोई जानकारी आम आदमी को नहीं थी। खास बात यह रही कि नई व्यवस्था के संकेतक बोर्ड जो सड़कों पर लगाये गये हंै वह यथावत ही थे। पुरानी व्यवस्था और पथ सकेंतकों के सड़कों पर होने के कारण लोगों को समझ ही नहीं आया कि वह क्या करें? हालात यह हुए कि कुछ नयी व्यवस्था के अनुसार तो कुछ पुरानी व्यवस्था के अनुसार सड़कों पर वाहन दौड़ने लगे जिससे घटंाघर क्षेत्र के कई स्थानों पर वाहनों की भिंड़त की स्थिति पैदा हो गयी तो कई स्थानों पर लोगों में तकरार भी होते देखा गया। सवाल यह है कि दून के यातायात प्लान को लेकर जो प्रयोग पुलिस द्वारा किये जा रहे हैं उसमें इन सड़कों पर चलने वाले लोग कब तक चकरघिन्नी बने रहेंगे। पहले ही पुलिस के इन प्रयोगों से लोग इतने तंग हो चुके हैं कि वह अब इसके खिलाफ धरने प्रदर्शन तक करने लगे हंै। हर रोज पुलिस नई नई व्यवस्थाएं लागू कर क्या करना चाहती है यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। 

Popular posts from this blog

नेशनल एचीवर रिकॉग्नेशन फोरम ने विशिष्ट प्रतिभाओं को किया सम्मानित

व्यंजन प्रतियोगिता में पूजा, टाई एंड डाई में सोनाक्षी और रंगोली में काजल रहीं विजेता

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं से नष्ट हो रही बेशकीमती वन संपदा