परमार्थ निकेतन मंे फिल्म पùावती के लेखक तेजपाल धामा और अन्य सहयोगी पधारे


 

-फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, इतिहास, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करने वाली फिल्में बनाने पर हुई चर्चा

 

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में फिल्म पùावती के लेखक तेजपाल धामा जी संगीत निर्देशक कुमार चंद्रहास, निर्माता निर्देशक नीरा नागिन, विश्वबंधु, सीईओ सनातन टीवी लोकेश शर्मा पहुंचे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता की। चर्चा के दौरान स्वामी जी ने कहा कि फिल्मों के माध्यम से भारत की गौरवमयी संस्कृति और राष्ट्र के कार्यो को आगे बढ़ाने तथा जन मानस को इसके प्रति जागृत करने और राष्ट्रवादी संस्कृति के साथ भारत का गौरवशाली इतिहास पर आधारित फिल्में बनायी जानी चाहिये। साथ ही अप्रैल माह में परमार्थ निकेतन में एकल विद्यालयों को समर्पित कथा का आयोजन किया जा रहा है इस पर भी विस्तृत चर्चा हुई। एकल विद्यालय फाउंडेशन द्वारा वनवासी, पिछड़े क्षेत्रों, आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण संस्थान संचालित किये जाते हंै।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में प्रसिद्ध ’अग्नि की लपटें’ पुस्तक के लेखक तेजपाल धामा जी जिन्होेंने लगभग 200 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं तथा हिन्दी पाकेट बुक्स पेंगुइन पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित की गयी हंै। इनके साथ गीतकार नीरज जिन्होंने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी और गीतकार, संगीतकार कुमार चंद्रहास जी जिन्होंने कवियित्री महादेवी वर्मा जी की रचनाओं को संगीतबद्ध किया तथा लोकेश शर्मा आदि ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। फिल्म जगत से आये अतिथियों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि फिल्म, सोशल मीडिया, टीवी सीरियल्स से आज की युवा पीढ़ी प्रभावित होती है। मुझे लगता है हमें फिल्मों के माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी को प्रकृति, पर्यावरण और जल स्रोतों से जुड़ने, उन्हें संरक्षित रखने का संदेश व्यापक स्तर पर प्रसारित करना है। स्वामी जी ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत समाज को प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागृत करना होगा क्योंकि हमारे पास ’’प्लान ए हो सकता है, प्लान बी हो सकता है परन्तु प्लानेट (पृथ्वी) एक ही है’’, उसे इसी तरह नुकसान पहंुचता रहा तो आगे आने वाली पीढ़ियों के लिये यह बहुत घातक हो सकता है। वर्तमान समय में बढ़ता प्लास्टिक, प्लानेट के लिये खतरा है। ईको-सिस्टम या पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रखने के लिये फिल्मों और सीरियल के माध्यम से संदेश प्रसारित किया जाये तो स्थायी रूप से इसका प्रभाव पड़ सकता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि यूएनए द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2040 तक पूरी दुनिया के पास पीने का स्वच्छ जल केवल आधा ही बचेगा जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अब विश्व में जल शरणार्थियों की संख्या युद्ध शरणार्थियों से भी अधिक हो सकती है इसलिये इस ओर आज से मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। फिल्म पùावती के लेखक तेजपाल धामा जी ने कहा कि आगामी फिल्मों मंे पूज्य स्वामी जी सुझावों को निश्चित रूप से अमल किया जायेगा। हम भी चाहते हंै कि फिल्में उद्देश्य परक हांे जिसके माध्यम से जनमानस में जागृति आये। स्वामी जी ने सभी अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा प्रसाद स्वरूप दिया।

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