फिल्म निर्माता और लेखक अश्विनी अय्यर तिवारी पहुंची परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में किया सहभाग

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में भारतीय फिल्म निर्माता और लेखक अश्विनी अय्यर तिवारी जी पधारी उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर आशीर्वाद लिया। अश्विनी अय्यर तिवारी ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती और सत्संग मंे सहभाग किया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि फिल्मों और लेखन के मााध्यम से लिंग भेद, मानवाधिकार से सम्बंधित विषय, महिला सशक्तिकरण और प्रकृति संरक्षण के विषयों पर ध्यान दिया जाना चाहिये। स्वामी जी ने कहा कि भूमंडलीकरण और कारपोरेट कल्चर में एक ओर तो नारी सशक्तिकरण और ताकतवर नारी का स्वरूप उभर कर आ रहा है वही दूसरी ओर आज भी नारी की स्थिति चिंताजनक है इस पर व्यापक स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। स्वामी जी ने कहा कि आप फिल्म निर्माता और लेखक है इसलिये फिल्मों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और हरियाली संवर्द्धन का संदेश प्रसारित करे साथ ही इस ओर भी कुछ काम करें तो बड़ी प्रसन्नता होगी।

 अश्विनी अय्यर तिवारी ने निल बट्टे सन्नाटा, अम्मा कनक्कू, बरेली की बर्फी, पंगा फिल्मों का निर्देशन किया। उन्हें डेब्यू डायरेक्टर और बेस्ट डायरेक्टर के खिताब से नवाजा गया। स्वामी जी ने पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण, प्लस्टिक कल्चर और प्रदूषित होते जल जल के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि लेखन और पाठ्यक्रम के माध्यम से इन विषयों के प्रति जनमानस को जागरूक करने की जरूरत है क्योंकि प्लास्टिक हमारे जीवन को निगल रहा है। समुद्री विशेषज्ञों के अनुसार जिस वेग से प्लास्टिक समुद्र में गिर रहा उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2050 तक वजन के हिसाब से समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा। प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकडे जिनको माइक्रो प्लास्टिक कहा जाता है वे फूड चेन के द्वारा मानव शरीर और पर्यावरण में आ रहे है जिससे कैंसर व अन्य भयावह व्याधियाँ उत्पन्न हो रही है। अतः प्लास्टिक को जीवन से हटाने के लिये अथक प्रयास करने की जरूरत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’मनुष्य अपने जीवन में प्लास्टिक का जिस प्रकार उपयोग कर रहा है उस पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि प्लास्टिक हमारे जल स्रोत्रों, वायु, और मृदा सभी को प्रदूषित कर रहा है। जल और वायु के बिना जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती। जल है तो जीवन है अतः जल की संस्कृति को समझकर जल स्रोतो एवं नदियों को अविरल एवं दीर्घजीवी बनाना होगा तभी मानव का कल सुरक्षित रह सकता है अन्यथा जल और वायु के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है। आज की गंगा आरती में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया। स्वामी जी हिमालय की दिव्य भेंट पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा अश्विनी अय्यर तिवारी जी को भेंट किया।

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