श्रमिकों की न्यूनतम वेतन राशि समय पर न मिलने पर रोष जताया 


 

हरिद्वार। उत्तराखंड के विभिन्न प्रतिष्ठानों व औद्योगिक कारखानों में काम करने वाले श्रमिकांे को न्यूनतम वेतन बढ़ाये जाने की अधिसूचना जारी हुए एक वर्ष से अधिक हो गया है लेकिन श्रमिक मजदूरों को सरकार द्वारा वृद्धि किये गए न्यूनतम वेतन ना दिए जाने से मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रमिक चैपाल का आयोजन किया।  जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड शासन श्रम बोर्ड के सदस्य, श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के प्रतिनिधि संजय चोपड़ा ने शिरकत कर श्रमिको की न्यूनतम वेतन राशि समय पर ना मिलने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उत्तराखंड शासन को प्रस्ताव दिया कि होली से पूर्व श्रमिकांे को बढ़ी हुई न्यूनतम वेतन राशि दिए जाने पर श्रम आयुक्त, उप श्रम आयुक्त, सहायक श्रम आयुक्त व प्रतिनिधियों के साथ समन्वयक स्थापित कर युद्धस्तर पर बढ़ी हुई न्यूनतम वेतन राशि व श्रमिको की आये दिन हो रहे शोषण व उत्पीडन पर सार्वजनिक रूप से लक्ष्य पूर्ति के साथ श्रमिक जन सुनवाई कार्यक्रम आयोजित किये जाने की मांग को दोहराया।

इस अवसर पर उत्तराखंड शासन श्रम बोर्ड के सदस्य व श्रम मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के प्रतिनिधि संजय चोपड़ा ने कहा उत्तराखंड राज्य में श्रमिकों की न्यूनतम वेतन राशि लगभग 5 वर्षों से 6610 रुपये चल रही थी उसको बढाकर हमारे प्रस्ताव पर 8300 रूपये प्रति माह किया गया था सरकार के इस आदेश पर उत्तराखंड के 10 लाख से अधिक श्रमिको को बढ़े हुए वेतन दरों पर समय पर भुकतान ना होने की शिकायतें अक्सर मिल रही है इसके निदान के लिए शासन द्वारा युद्धस्तर पर अभियान के साथ साथ घरो, होटल, ढाबो, कम्बल की दुकान, आफिस में दैनिक मजदूरी के असंगठित क्षेत्रो के मजदूरों को भी न्यूनतम वेतन 8300 रुपये का लाभ दिए जाने के लिए सरकार द्वारा उचित फैसला लिया जा चुका है और जिसका शासन आदेश अप्रेल 2019 में जारी किया जा चुका है लेकिन न्यूनतम वेतन राशि 8300 रुपये श्रमिको को मिल सके 8300 रुपये वेतन भुकतान की समय समय पर समीक्षा की पूर्ति ना होने के कारण आए दिन श्रमिको की उत्पीड़न व शोषण की शिकायतें मिल रही है जिसके निदान के लिए शीघ्र ही श्रमिको की जन सुनवाई के कार्यक्रम आयोजित किये जाने के लिए प्राथमिकता देनी होगी। श्रमिक चैपाल में श्रमिक प्रतिनिधियों में महिपाल रावत, जय सिंह बिष्ट, ठाकुर मान सिंह, रंजीत रावत, आर.एस. रतूड़ी, कुंवर सिंह मण्डवल, गोपाल सिंह कंसवाल, नरेंद्र पुंडीर, भीम सिंह नेगी, राकेश बिष्ट, ओमप्रकाश पंवार, सूरज बडोनी, विनोद जाटव, नितिन ठाकुर आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। 

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