शरीर के महत्व को सिद्ध करने का प्रमाणिक क्षेत्र है शारीरिक शिक्षा


 

हरिद्वार। शारीरिक शिक्षा जीवन का अभिन्न अंग है। इसे सिद्वान्त तथा परीक्षण दो महत्वपूर्ण आयामों के माध्यम से समझा जा सकता है। विज्ञान की विधाओं से ओत-प्रोत यह क्षेत्र व्यक्ति को शारीरिक महत्व की गतिविधिया तथा इनके प्रभाव से होने वाले परिवर्तन को प्रमाणिक तथ्य के साथ समझाता है। यह किसी काल्पनिक घटना का समर्थन नही करता है बल्कि परिणाम को सामने रखते हुए मानव कल्याण की बात करता है। 

स्वर्णिम गुजरात स्पोटर्स यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में आनलाईन प्रतिभाग करते हुए गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विशेषज्ञ डा0 शिवकुमार ने यह विचार प्रस्तुत किये। भारत सरकार के फिट इण्डिया मोमेन्ट तथा स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के उददेश्य से गांधीनगर गुजरात में 23 मई को एक दिवसीय वेबिनार आयोजित किया गया। जिसमे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा डा0 शिव कुमार ने शारीरिक शिक्षा को शरीर के महत्व को बताने वाला प्रमाणिक क्षेत्र बताया जिसका समर्थन शारीरिक शिक्षा के विद्वानों ने भी किया। इस अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा एवं खेल संस्थान के प्रोफेसर राकेश गुप्ता ने एथलेटिक्स के नियमों तथा उनको बेहतर ढंग से लागू करने पर मुख्य वक्तव्य दिया। वेबिनार का उदघाटन गुजरात फिट इण्डिया मोमेन्ट के नोडल अधिकारी एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अर्जुन सिंह राणा द्वारा किया गया। वेबिनार मे कुलसचिव संजय जोशी सहित वेबिनार डायरेक्टर डा0 सुधीर कुमार शर्मा एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के शारीरिक शिक्षा विशेषज्ञ, कोच तथा स्पोटर्स डायरेक्टर उपस्थित रहे। वेबिनार के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र ई0मेल द्वारा वितरित किए गए।

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