दून में डायलिसिस के मरीज का सफल आपरेशन


देहरादून। संजय आर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मेटरनिटी सेंटर, जाखन, देहरादून के डाॅ. गौरव संजय ने एक डायलिसिस के मरीज की हड्डी के फ्रैक्चर का सफल आॅपरेशन कर अपने प्रदेश के नाम रोशन कर दिखाया। गुर्दा मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। जो कि शरीर से हानिकारक पदार्थो को पेशाब द्वारा बाहर निकालने का कार्य करते है और शरीर में खून को साफ करने का कार्य करते है। जब किसी कारण से गुर्दे की यह क्षमता किसी भी तरह घट जाती है तो ऐसे मरीजों का इलाज या तो डायलिसिस से होता है या फिर गुर्दो के प्रत्यारोपण कर जरूरत पड़ती है। डायलिसिस के मरीजों के शरीर में बहुत से शारीरिक बदलाव आने लगते है जिनमें एक है हड्डियों का कमजोर होना। जिससे इनमें फै्रक्चर होने की संभावना आम व्यक्तियों की तुलना में चार गुनी बढ़ जाती है।


डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि उनके पास एक 54 वर्षीय महिला जिनका वजन 84 किलोग्राम था और जिसकी किडनी फेल हो चुकी थी, जो कि रोजाना से डायलिसिस के सहारे जीवित थी। जिनकी पिछले हफ्ते कंधे की हड्डी टूट कई बीमारियों से पीड़ित थी और इनका डायबिटीज भी कंट्रोल नहीं था। इसके अलावा इनका बी.पी. भी बढ़ा रहता था। हृदय में स्टन्ट पड़े हुए थे। जिनका क्रिएटिनिन लेवल 8.67 मिलीग्राम परसेंट था। जो कि साधारण तौर से 0.8 से 1.2 मिलीग्राम परसेंट होता है। इनकी हड्डी हल्के झटके से टूट गई थी और जिन्होंने कई डाॅक्टरों से सलाह ली और उन सबने आॅपरेशन करने से मना कर दिया क्योंकि आॅपरेशन में जान का खतरा था। डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि उन्होंने इनको आॅपरेशन और एनेस्थीसिया के बारे में सभी गुण-दोष विस्तार से बताये जिसमें गुर्दो का पूरी तरह से फेल हो जाना और जान का भी खतरा था। चूँकि मरीज को दर्द इतना था कि वह सो भी नहीं सकती थी इसलिए मरीज और उसके रिश्तेदारों ने इन सब खतरों के बावजूद भी हमारे यहाँ आॅपरेशन कराने का निर्णय लिया। क्योंकि मरीज आॅपरेशन कराने के लिए तैयार था। मैंने भी आॅपरेशन के लिए हामी भर दी।
डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि अधिकांशतः आॅपरेशन सफल होते है यदि हम आॅपरेशन से पहले विस्तृत योजना बनाये और फिर सभी संभावित खतरों के बारे में सावधानियाँ बरते। तो परिणाम वैसे ही मिलते है जैसा कि हम चाहते है। योजना के अनुसार मेदांता, गुडगांव एवं एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों से जो इनका चोट लगने से पहले इलाज कर रहे थे उन्होंने जब अपनी तरफ से अनुमति दे दी तो मरीज की लिखित सहमति के बाद रिजनल एनेस्थीसिया एवं एक्स-रे कंट्रोल के अन्तर्गत बिना कोई चीरा लगाये फ्रैक्चर को बैठाकर कम से कम समय में फिक्स कर दिया गया। आॅपरेशन के समय एवं आॅपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर रही और सभी पैरामीटर्स में कोई बदलाव नहीं आया। आॅपरेशन के बाद मरीज चलकर अपने घर चली गई और अब घर पर पूर्ण रूप से स्वस्थ है।
डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि डायलिसिस के सभी मरीजों में सभी तरह के खतरे होते है। इस तरह के फ्रैक्चर का इलाज आम लोगों में भी आॅपरेशन की आवश्यकता होती है। डायलिसिस के मरीजों में तो और भी ज्यादा। क्योंकि इनमें कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य हार्मोन्स का संतुलन ठीक नहीं होता है। इसलिए हड्डियाँ जल्दी नहीं जुड़ती है। आॅपरेशन के बाद इन मरीजों में फ्रैक्चर का दर्द कम हो जाता है। चलने-फिरने लगते है और अपनी सभी दैनिक क्रिया-कलाप को करने लगते है। डाॅ. गौरव संजय ने यह भी बताया कि उनका सेंटर इस तरह के मुश्किल आॅपरेशन को जैसे कि मुश्किल के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन सर्जरी, बिगड़े हुए फ्रैक्चर और कैंसर सर्जरी के आॅपरेशन हमारे सेंटर में एक आम बात है। हम उन सभी लोगों का आॅपरेशन करने के लिए हमेशा तैयार रहते है जो रिस्क लेने के लिए हमारी तरह तैयार रहते है।



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