देहरादून। टिहरी जिले के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री कार्यालय जायेगें, जहां अंडर सेक्रेट्री के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यभार ग्रहण करेंगे, आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने ये बड़ा मुकाम हासिल किया है, आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल 2012 बैच के उत्तराखण्ड़ काडर के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में टिहरी जिले में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी आदेश में बताया गया है कि आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल 4 वर्षो के लिए प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री कार्यालय में अंडर सेक्रेट्री के तौर पर कार्यभार ग्रहण करेंगे, आदेश में आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल को तीन सप्ताह के अन्दर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा गया है। आपको बतादें कि हाल ही में आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल का रूद्रप्रयाग जिले से टिहरी जिले में स्थानांतरण हुआ था, वो बागेश्वर जिले मे ंभी जिलाधिकारी रह चुके हैं, लोगों से उनका मिनसार व्यवहार, उनके काम करने के ढंग के कारण उनके लाखों प्रशंसक हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में तीन आईएएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। जिन तीन आईएएस अफसरों को PMO में नियुक्त किया गया है उनमें मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस रघुराज राजेन्द्रन को पीएमओ में डायरेक्टर, आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस आम्रपाली कटा को डेप्युटी सेकेट्री और उत्तराखंड के टिहरी के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को अंडर सेकेट्री नियुक्त किया गया है।
आईएएस मंगेश घिल्ड़ियाल का सफरनामा
IAS मंगेश घिल्डियाल का जन्म पौड़ी जिले के डांडयू गांव में हुआ। उनके पिता प्राइमरी स्कूल में हेडमास्टर थे और माता गृहणी हैं। मंगेश की प्राथमिक शिक्षा डांडयू गांव मे ही हुई। इससे आगे की पढ़ाई के लिए वे गांव से पांच किमी दूर राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय पटोटिया जाते थे। इसके बाद वो रामगनर चले गये और वही पर नौवीं से लेकर ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई की इसके बाद जब वो एमएमसी की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके ऊपर बहुत जिम्मेदारी आ गयी थी उनके साथ उनके दो और भाई बहिन भी पढाई कर रहे थे तो पैसे की परेशानी आने लग गई थी उन्होंने पढाई के साथ गेट का एग्जाम दिया, तो उसमें सेलेक्शन हो गए। इसके बाद उन्होंने पढाई के साथ साथ इंदौर से एमटेक भी किया। एमटेक करते ही 2006 मे लेजर टेक्नीक‘ पर रिसर्च के लिए उन्हें साइंटिस्ट के रूप में नौकरी मिल गयी। साइंटिस्ट के पद पर सेलेक्शन हो जाने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग देरादून में आईआईआरडी लैबोरेट्री में हुई| तब उन्हें लगा कि मुझे सिविल सर्विसेस मे जाना चाहिए| वही से ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया। उस समय देहरादून में उतना अच्छा माहौल नहीं था। उस समय UPSC की तैयारी कोई संस्थान नहीं कराता था। उन्होंने खुद ही बुक स्टडी की और पहली बार में 131वीं रैंक के साथ आईपीएस में सेलेक्शन मे गया। सिलेक्शन होने के बाद वो हैदराबाद चले गए फिर भी वे सिविल परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे और 2011 में उन्होंने दोबारा सिविल सेवा एग्जाम दिया और चौथा स्थान प्राप्त किया। उस समय उनको भारतीय विदेश सेवा यानी इंडियन फॉरेन सर्विसेज़ में जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने उत्तराखंड को चुना और आईएएस की नौकरी करने का फैसला लिया। उनकी पहली पोस्टिंग चमोली में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में मिली।