आदमखोर जानवरों से लोगों को बचा रहा इंटरनेशनल शूटर

पिथौरागढ़। शूटिंग की दुनिया का जाना माना नाम सैयद अली बिन हादी अब आदमखोर जानवरों के लिए खौफ का पर्याय बन गए हैं। यही नहीं हादी को शूटिंग के साथ-साथ हंटिंग यानी शिकार करने की प्रवृत्ति भी विरासत में मिली है। मेरठ के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले हादी के पिता और दादा भी इसी पेशे से जुड़े हैं। पिथौरागढ़ में एक आदमखोर गुलदार का खात्मा करने वाले 27 साल के सैयद बिन हादी शिकारी के साथ जाने-माने शूटर भी हैं। 2013 में हादी ने शूटिंग की दुनिया में वल्र्ड रिकॉर्ड भी बनाया था। अब तक हादी नेशनल और इंटरनेशनल शूटिंग प्रतियोगिताओं में 25 से अधिक मेडल जीत चुके हैं।
    शूटिंग से हंटिंग की तरफ रुख करने वाले सैयद हादी ने 2014 में यूपी के बिजनौर में भी 10 लोगों को निवाला बना चुके गुलदार को मौत के घाट उतारा था। इंटरनेशनल शूटर सैयद अली बिन हादी बताते हैं कि हंटिंग उनका खानदानी शौक है। उनके दादा और पिता भी ये शौक रखते थे। जमींदार परिवार से जुड़ा होने के कारण हंटिंग उन्हें विरासत में मिली है। अली के दादा सैयद इक्तेदार हुसैन भी हटिंग के लिए जाने-जाते थे। उन्होनें 1952 में एक मगरमच्छ को मार गिराया था। यही नहीं इनके पिता सैयद हादी भी नेशनल शूटर रहे हैं। अली के भाई इमाम मुस्तफा ने तो हंटिंग को ही अपना पेशा बनाया है। इमाम हर अभियान में अली के बैकअप के रूप में मोर्चे पर तैनात रहते हैं। सैयद अली बिन हादी को लाइसेंस टू किल मैनइटर हंटर भी मिला हुआ है। ये लाइसेंस भारत में गिने-चुने शिकारियों को दिया जाता है। हादी के कजन शिकारी इमाम मुस्तफा कहते हैं कि हादी ने शूटिंग में ज्यादा नाम कमाया है, जबकि उनका शौक हंटिंग का रहा है। वे हर अभियान में हादी के साथ मौजूद रहते हैं। शूटिंग के साथ हंटिंग का शौक रखने वाला हादी परिवार पर्यावरण प्रेमी भी है। हादी परिवार की मानें तो उन्हें वाइल्ड लाइफ से खासा लगाव है। ऐसे में वे तभी किसी जानवर का शिकार करते हैं, जब वो इंसानी जिंदगी के लिए खतरा साबित हो।


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