त्याग व तपस्या की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे स्वामी स्वतः मुनि उदासीन महाराजः भगवत स्वरूप


हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था स्वतः मुनि उदासीन आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि उदासीन महाराज की 35वीं पुण्यतिथि गुरुमण्डल आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी भगवत स्वरूप महाराज की पावन अध्यक्षता तथा स्वतः मुनि उदासीन आश्रम के परमाध्यक्ष म.मं. स्वामी सुरेश मुनि महाराज के संयोजन में श्रद्धाभाव के साथ मनायी गयी।
इस अवसर पर श्रद्धाजंलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए गुरुमण्डल आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि उदासीन महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। उनके जप तप से यह आश्रम और संस्था ने संतजनो में एक विशिष्ट स्थान बनाया। स्वामी स्वतः मुनि महाराज का समूचा जीवन धर्म प्रसार व लोक कल्याण को समर्पित रहा। उन्होंने संस्था के वर्तमान अध्यक्ष म.मं. स्वामी सुरेश मुनि महाराज के प्रति मंगल कामनाएं प्रकट करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि उदासीन महाराज के पद् चिन्हों पर चलते हुए स्वामी सुरेश मुनि कुशलतापूर्वक सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रहे हैं। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद और स्वामी रामानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि म.मं. स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने अपने गुरुदेव के मार्ग का अनुसरण करते हुए संस्था और आश्रम को आगे बढ़ाने का कार्य किया। संतजनो के प्रति आभार प्रकट करते हुए स्वतः मुनि उदासीन आश्रम के परमाध्यक्ष म.मं. स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कहा कि गुरूदेव का गंगाजी के प्रति अगाध श्रद्धा भाव था हरिद्वार का आश्रम उसी भक्ति भाव का साकार रूप हैं। इस अवसर पर संतजनों ने स्थानीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी को पट्टका पहनाकर सम्मानित किया। स्वामी सूर्यदेव महाराज ने कहा कि पार्षद अनिरूद्ध भाटी का संत समाज के प्रति अनन्य सेवा भाव है। धार्मिक संस्थाओं का उनका सहयोग सदैव प्राप्त होता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से दिनेश शर्मा समेत अनेक भक्तजन एवं गणमान्यज उपस्थित रहे।


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