सिम्फनी ने एयर-कूलिंग के पर्यावरण-अनुकूल इको फ्रेंडली तरीके अपनाने पर दिया बल

देहरादूना। हाल की मौसम रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 को सबसे गर्म वर्ष के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। दिन-ब-दिन बढ़ते तापमान, इंसानों की वजह से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग, तथा धरती एवं उसके संसाधनों की सुरक्षा के उपायों की कमी के साथ, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। एयर-कंडीशनर के गैर-जिम्मेदाराना तरीके से उपयोग के कारण पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। लिहाजा, अब वक्त आ गया है कि हम मौजूदा हालात को वास्तविकता की कसौटी पर परखें और अपनी धरती माँ को बचाने के तरीकों को अपनाएँ। इस बार, 14 दिसंबर को श्विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस’के मौके पर सिम्फनी के सीएमडी अचल बकेरी, ने एयर-कूलिंग के पर्यावरण-अनुकूल इको फ्रेंडली तरीके अपनाने का विचार प्रस्तुत करते हुए ऊर्जा संरक्षण के महत्व पर बल दिया है। हालांकि गर्मियों में ठंडक का एहसास पाने और कमरे के तापमान को कम करने के लिए एयर-कंडीशनिंग सबसे सुविधाजनक तरीका लग सकता है, लेकिन सच्चाई यही है कि एयर-कंडीशनर से निकलने वाले खतरनाक पदार्थों की वजह से व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरी दुनिया को नुकसान होता है। एयर कंडीशनर में क्लोरोफ्लोरोकार्बन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन जैसे खतरनाक रेफ्रिजरेंट मौजूद होते हैं, जो ओजोन थर के लिए बेहद हानिकारक हैं। दूसरी ओर, एयर-कूलर पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल होते हैं क्योंकि इनमें रेफ्रिजरेंट के रूप में पानी का इस्तेमाल किया जाता है। एयर-कंडीशनर कमरे के भीतर मौजूद बासी हवा को बार-बार प्रसारित करता है, जबकि एयर-कूलर बाहर से ताजी हवा खींचता है और फिर तरोताजा करने वाली, फिल्टर्ड हवा से कमरे को ठंडा करता है। एयर-कंडीशनर की तुलना में एयर-कूलर के कुछ फायदों के बारे में नीचे बताया गया है।

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