सरकार को इनकी पीड़ा से नहीं है कोई सरोकार
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों एवं नगर निगमों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य विभागों यथा अस्पताल,मेडिकल कॉलेज, शिक्षण संस्थानों आदि में वर्षों से कार्य कर रहे सफाई कर्मियों (पर्यावरण मित्र) में से अधिकांश ठेका प्रथा, दैनिक वेतन, मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि के माध्यम से कार्य कर रहे हैं, जिनको बामुश्किल 5-7 हजार में गुजर बसर करनी पड़ती है। बड़े दुख की बात है कि सरकार द्वारा सफाई कर्मियों के पद को आउटसोर्स का पद विभागीय ढांचे में रखा गया है।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए नेगी ने कहा कि बड़े आश्चर्य की बात है की शासन व शहरी विकास निदेशालय तक को ये मालूम नहीं है कि इन पालिकाओं, नगर पंचायतों, निगमों में कितने सफाई कर्मी तैनात हैं तथा उनकी स्थिति क्या है यानी वे दैनिक, ठेका प्रथा, तदर्थ, संविदा, आउटसोर्स, मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि किस श्रेणी के तहत कार्य कर रहे हैं। जब शासनध्निदेशालय को इनकी संख्या व स्थिति तक की जानकारी नहीं है तो इनका भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है। यहां तक कि इन कर्मियों के लिए न तो बीमा कवर की व्यवस्था है और न ही कोई अन्य व्यवस्था, जबकि ये कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना महामारी जैसी बीमारियों में भी अनवरत अपनी सेवा देते आ रहे हैं। प्रदेश की लगभग 90-95 नगर पालिका नगर पंचायत निगमों में शासनादेशानुसार वर्ष 2011 के आधार पर 1000 की आबादी पर दो सफाई कर्मी तैनात किए जाने की व्यवस्था है। नेगी ने कहा कि कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित सफाई कर्मियों को दैनिक वेतन, ठेका प्रथा आदि व्यवस्था से छुटकारा दिला कर संविदा के दायरे में लाना चाहिए, जिससे,एक विशेष व्यवस्था के तहत इनको मृत संवर्ग से बाहर कर भविष्य में इनके नियमितीकरण का रास्ता साफ हो सके। पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, नरेंद्र तोमर व सुशील भारद्वाज उपस्थित रहे।