Sunday, 25 July 2021
बलिदान दिवस पर याद किए गए टिहरी जनक्रांति के महानायक श्रीदेव सुमन
देहरादून। अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर टिहरी मूल विस्थापित संघर्ष समिति द्वारा सामुदायिक केंद्र बंजारावाला देहरादून में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वक्ताओं ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पहाड़ के पहाड़ से प्रश्नों पर विमर्श किया। समिति अध्यक्ष राजेंद्र सिंह असवाल ने श्रीदेव सुमन को स्मरण करते हुए कहा कि राज्य बनने के कितने वर्षों बाद भी श्रीदेव सुमन के विचारों के अनुरूप उत्तराखंड नहीं बन पाया बल्कि यहां के निवासियों का निरंतर पलायन इस सीमांत क्षेत्र के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, जिस पर आयोग भी बने, बात भी हुई, परंतु सरकारंे यहां के मूल निवासी को शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाई।
वरिष्ठ पत्रकार राजीव उनियाल ने शहीद श्रीदेव सुमन के भारत की आजादी एवं टिहरी क्षेत्र को सामंत शाही से आजादी दिलाने के योगदान को याद करते हुए कहा कि यह उन्हीं की पीढ़ी के संघर्ष और बलिदान के कारण हो पाया कि हम आजादी की सांस ले पाए वरना राजशाही ने तो प्रजा के लिए शिक्षा तक के द्वार बंद कर रखे थे शिक्षा के लिए उनकी पीढ़ी को बनारस, ऋषिकेश, हरिद्वार और लाहौर तक जाना पड़ा। राजशाही में जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी प्रजा को संघर्ष करना पड़ता था। उत्तराखंड के संदर्भ में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि हमने राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया सफल भी हुए पर राज्य को चलाने की जिम्मेदारी आंदोलनकारियों ने नहीं ली, नतीजा सबके सामने है कि राज्य बनने के 21 वर्ष बाद भी हमें भू कानून के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
पहाड़ी प्रजा मंडल के अध्यक्ष वीर सिंह पंवार ने कहा कि बलिदानी श्रीदेव सुमन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम अपनी आंचलिकता अर्थात अपनी भाषा, अपना सिनेमा एवं अपनी संस्कृति को निरंतर मजबूत करें, दूसरे शहरों में जाकर नौकरी करने के बजाए उत्तराखंड में ही रहकर स्वरोजगार को प्राथमिकता दें। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार गिरिराज उनियाल ने श्रीदेव सुमन के जीवन एवं उनके संघर्ष से जुड़े संस्मरण श्रोताओं से साझा किए।
कार्यक्रम को वीरेंद्र दत्त पैन्यूली एवं गणेश उनियाल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर राजेंद्र राणा, हरीश उनियाल, राजेंद्र चैहान, पंत ,विनोद रावत, कुलदीप पवार, जगदीश, निर्मल जगूड़ी, जगदंबा नौटियाल, अनुराग पंत, कलम सिंह मियां, नवीन नौटियाल, प्रसन्न लखेड़ा, उमा पंवार, मंजू रमोला आदि उपस्थित रहे।
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