लिविंगार्ड टेक्नोलॉजी सार्स सीओवी-2 के भारतीय आइसोलेट के खिलाफ असरदार साबित

देहरादून। कोविड-19-डिएक्टिवेटिंग गुणों वाले प्रोटेक्टिव फेस मास्क तैयार करने वाली कंपनी, लिविंगार्ड ने आज घोषणा की कि इसकी टेक्नोलॉजी सार्स सीओवी 2 कोविड, वाइल्ड वर्जन के भारतीय आइसोलेट के खिलाफ असरदार साबित हुई है। लिविंगार्ड के फेस मास्क फैब्रिक पर विख्यात इंडियन नेशनल इंस्टिट्यूट (एनआईआई) ऑफ इम्यूनोलॉजी द्वारा परीक्षण किया गया था। विस्तृत परिणामों से संकेत मिलता है कि लिविंगार्ड मास्क की हर परत में सार्स सीओवी-2 के भारतीय आइसोलेट के खिलाफ औसतन 99þ प्रभावशीलता है। सार्स कोविड-2 का भारतीय आइसोलेट ही वह खतरनाक स्ट्रेन था जिसने भारी संख्या में हमारे लोगों को अपनी चपेट में लिया। भारत में कोविड 19की दूसरी लहर के दौरान, इनमें से अधिकांश मामले डेल्टा संस्करण के चलते घटित हुए थे। डेल्टा संस्करण के प्रकोप से जूझ रहे कई भौगोलिक क्षेत्रों के लिए यह परिणाम सकारात्मक खबर है, और उन भौगोलिक क्षेत्रों के लोग अपने स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए लिविंगार्ड फेसमास्क्स पर भरोसा कर सकेंगे। सार्स सीओवी 2 (कोविड 19, वाइल्ड वर्जन) के भारतीय आइसोलेट के खिलाफ लिविंगार्ड की टेक्नोलॉजी की प्रभावशीलता का प्रमाण ऐसी स्थिति में भी आया है जब दुनिया भर में नये मास्क पहनने की आवश्यकता बतायी जा रही है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा संस्करण के प्रकोप के मद्देनजर हाल ही में पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों से मास्क पहनना जारी रखने का आग्रह किया। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, फेसमास्क पहनने से वास्तव में यह निर्धारित हो सकेगा कि इसे पहनने वालों को डेल्टा संस्करण प्रभावित करता है या नहीं। आज प्राप्त सकारात्मक परिणामों के बारे में बताते हुए, लिविंगार्ड के सीईओ, संजीव स्वामी ने कहा, “घर के भीतर और बाहर मास्क पहनने की अनिवार्यता लागू करने वाले क्षेत्रों की बढ़ती हुई संख्या की मांग पूरी करने के लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। पिछले 24 महीनों से, लिविंगार्ड अपनी स्वयं की कीटाणुनाशक तकनीक को लगातार अपडेट कर रहा है और यह इस चुनौतीपूर्ण समय में अपेक्षाओं पर खरा उतरने का कंपनी के लिए एक अन्य मिसाल है।‘’

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