ब्लैक बोर्ड से जूम व्हाइट बोर्ड तकः कोरोना के बाद स्कूली शिक्षा के बदलते स्वरूप पर विशेषज्ञों ने की चर्चा

देहरादून। कोरोना के बाद पढ़ाने ओर सीखने की बदलते स्वरूप को देखते हए दुनिया भर के विशेषज्ञों ने तकनीकी संचालित शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के तरीकों और साधनों की खोज की आवश्यकता पर बल दिया। 8वें ओसवाल बुक्स एजुकेशन कॉन्कलेव में शिक्षा, प्रौद्योगिकी और सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना ने लोगों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं । सभी लोगों शिक्षा की गुणवत्ता और उसके डिजाइन से समझौता नहीं कर सकते। हम लोगों को उसकी रणनीतियों और प्रक्रियाओं पर फिर से विचार करने की जरूरत थी। हम लोगों को उससे समझौता इस सम्मेलन में भारत, मैक्सिको, शिकागो, यूनाइटेड किंगडम के विशेषज्ञों ने भाग लिया। वैश्विक स्तर पर शिक्षा पर महामारी के प्रभाव के बारे में बात करते हुए यूनाइटेड किंगडम के बाथ के डिप्टी मेयर और शिक्षाविद् डॉ युक्तेश्वर कुमार ने कहा, महामारी शिक्षा क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित हुई। इस महामारी ने न केवल अकादमिक शिक्षा बल्कि सामाजिक कौशल और शारिरिक शिक्षा को भी प्रभावित किया है।लेकिन हम काफी अभिभूत हैं कि कैसे लोगों ने एक साथ काम किया और सीखने के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराए। सम्मेलन में सीखने का माहौल, डिजिटल एक्सपोजर, नए परिवेश में माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका, पाठ्यक्रम में सुधार, बदलते बाहरी वातावरण को समायोजित करने के लिए पाठ्य पुस्तकों की ओर फिर से उन्मुख करने और बेहतर परिणामों के लिए सीखने में प्रौद्योगिकी उपकरणों के बेहतर एकीकरण सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई और शिक्षा विशेषज्ञों और शिक्षाविदों द्वारा उन विषयों पर विचार किया गया। अमेरिका के ट्रस्टी इंडिक एकेडमी के अवतांस कुमार ने कहा भारत में शिक्षा प्रणाली में कोरोना के प्रकोप के बाद कायापलट हुआ। हमें बदलते समय के अनुकूल होना होगा और भविष्य में जो कुछ भी देखना होगा, उसके लिए तैयार रहना होगा।

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