देवप्रयाग में संस्कृत सप्ताह का कलश यात्रा के साथ समापन

टिहरी। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित संस्कृत सप्ताह के दौरान वक्ताओं ने संस्कृत के महत्व के बारे में जानकारी दी। इस दौरान विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई। बीते 21 अगस्त से शुरु हुए संस्कृत कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की धरोहर है, यह एक ऐसी प्राचीन भाषा है जिसका सुंदर व्याकरणिक गठन है। संस्कृत सप्ताह में आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ज्योतिष विभागाध्यक्ष राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति के प्रो. राधाकांत ठाकुर ने कहा की संस्कृत विश्व में अनेक भाषाओं की जननी है, प्रसन्नता की बात है कि संस्कृत भारत ही नहीं विदेशों के अनेक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है, इस पर शोध कार्य भी चल रहे हैं। मुख्य वक्ता डॉ. सदानंद दीक्षित ने कहा की हमारी नई पीढ़ी में संस्कृत के प्रति रुचि और उत्साह बढ़ रहा है जो संस्कृत के लिए सुखद संकेत है। कार्यक्रम अध्यक्ष श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर निदेशक प्रो. वनमाली विश्वास ने कहा की संस्कृत एक भाषा ही नहीं बल्कि भाषा की एक मानक व्यवस्था है। कहा की केंद्रीय विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में संस्कृत सप्ताह के तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस दौरान परिसर के विद्यार्थियों के लिए निबंध, गीता पद्य कंठ व पाठ प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। कोरोना काल में छात्र छात्राओं के घरों में होने के बावजूद कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदारी कई गई। कार्यक्रम संयोजक डॉ. शैलेंद्र प्रसाद उनियाल व डॉ. अनिल कुमार ने संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डाला। संस्कृत सप्ताह समापन पर परिसर के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों ने नगर में कलश यात्रा निकाली। मौके पर डॉ. सच्चिदानंद स्नेही, डॉ. कृपा शंकर शर्मा, डॉ. अरविंद गौर, दिनेश चंद्र पांडे, डॉ. सुरेश शर्मा, अमन मिश्रा, गौतम कुमार चौधरी, पंकज कोटियाल, डॉ. अवधेश बिजल्वाण, डॉ. ओम शर्मा आदि मौजूद थे।

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