आप की सरकार बनते ही पहली कलम से देवस्थानम बोर्ड होगा निरस्त

देहरादूना। आम आदमी पार्टी प्रदेश कार्यालय में आप प्रदेश प्रवक्ता नवीन पिरशाली और केदारनाथ विधानसभा प्रभारी सुमंत तिवारी ने एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर देवस्थानम बोर्ड के नाम पर तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों के साथ हो रहे खिलवाड को लेकर जमकर निशाना साधा है। नवीन पिरशाली ने कहा कि, उत्तराखंड की सरकार देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के साथ खिलवाड़ कर रही है। लंबे समय से तीर्थ पुरोहित इस बोर्ड के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही, और सरकार तीर्थपुरोहितों के आंदोलन के बावजूद अभी भी कमेटी बनाने की बात कर रही है। उन्होंने कहा देवस्थानम बोर्ड बना कर हजारों साल की परंपरा पर बीजेपी ने प्रहार किया है। उन्होंने कहा जो बीजेपी मंदिरों को सुधारने की बात पर 2017 में चुनाव जीती,प्रचंड बहुमत जनता ने जिनको दिया वही बीजेपी आज देवस्थानम बोर्ड के जरिए हमारे मंदिरों को सरकार के शिकंजे में डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि तीर्थपुरोहित इस बोर्ड के खिलाफ प्रधानमंत्री को अपने खून से पत्र लिखकर भी भेज चुके हैं , पूरे देश में अलग अलग बीजेपी के लोग ही इसका विरोध कर रहे बावजूद इसके अभी तक इसको लेकर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई। उन्होंने कहा, समस्त तीर्थ समाज के लोगों में रोष व्याप्त है। बीजेपी हिन्दुत्व का दम भरती है लेकिन अब यही बीजेपी हिंदुत्व के नाम पर तीर्थ पुरोहितों के शोषण पर उतर आई है। 2017 से पहले बीजेपी ने वादा किया था कि चारोंधामों में वह हर तरह की सुविधाएं देगी ,लेकिन सरकार बनने के बाद बीजेपी ने बोर्ड का गठन कर तीर्थपुरोहितों के साथ खिलवाड किया है ,और जनता से वादाखिलाफी की है। आप के नेता और केदारनाथ विधानसभा प्रभारी सुमंत तिवारी ने भी इस मौके पर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार देवस्थानम बोर्ड के नाम पर पुरोहितों का उत्पीडन कर रही है ,और लगातार चारधामों में हो रहे प्रदर्शन पर भी सरकार पुरोहितों की मांगें नहीं मान रही है। उन्होंने कहा कि, बीजेपी अपने आप को हिंदुत्व की पार्टी बताती है ,लेकिन उत्तराखंड में ये सरकार हिंदुओं की आस्था पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने कहा कि, सरकार तीर्थ पुरोहितों को ठगने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर अन्य राज्यों में इनकी सरकार देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ है ,और उत्तराखंड में ये बोर्ड के पक्ष में हैं ,तो ये दोहरा चरित्र आखिर क्यों। सरकार की आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो इस बोर्ड को भंग नहीं किया जा रहा है। इनके एक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत बोर्ड की वकालत करते हैं,वो कहते हैं कि बोर्ड का गठन ठीक है,जबकि दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत कहते हैं कि बोर्ड के गठन पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। आप पार्टी ये सवाल पूछती है कि, आखिर तीरथ सिंह रावत जब मुख्यमंत्री थे ,तो क्यों नहीं उन्होंने बोर्ड भंग करने की वकालत की। अब उनके सुर बदल गए हैं। वहीं मौजूदा मुख्यमंत्री कमेटी बनाने की बात कर रहे हैं ,लेकिन इन सभी के अलग अलग बयानों से ये स्पष्ट हो चुका है कि, देवस्थानम बोर्ड पर सिर्फ तीर्थपुरोहितों की भावनाओं के साथ खिलवाड की साजिश रची जा रही है और कमेटी गठन के बहाने से उन्हें गुमराह करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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