कर्नल कोठियाल ने लचर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार को घेरा

देहरादून। आप के वरिष्ट नेता और सीएम पद प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल ने प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राज्य में पिछले 21 सालों में लचर हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं पर जमकर हल्ला बोला है। उन्होंने कहा उत्तराखंड सरकार कितने ही झूठ बोलकर अपनी झूठी साख बचाने की कोशिश कर ले लेकिन समय समय पर इनके स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी लापरवाही सामने आती रही है। इस बार कैग रिपोर्ट 2019-20 में उत्तराखंड हिमालय राज्यों में स्वास्थ्य के नाम पर सबसे कम बजट खर्च करने वाला राज्य निकला। जिससे ये साबित होता ये सरकार उत्तराखंड की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही वो भी तब जब यहां राज्य में स्वास्थ्य सेवाए खुद वेंटिलेटर पर हैं। उन्होंने कैग द्वारा जारी रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा कि, ये हमारे प्रदेश के लिए बडे ही शर्म की बात है कि, एक ओर हमारा राज्य देवभूमि के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है, तो दूसरी ओर बीेजेपी सरकार की नाकामियों से हमारे प्रदेश को कई बार शर्मिंदगी उठाने को मजबूर होना पडा है। उन्होंने कहा कि, कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड का हेल्थ सेक्टर हिमालयी राज्यों में सबसे पीछे है ,जो इस प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। डबल इंजन का दम भरने वाली सरकार ने स्वास्थय सेवाओं पर कोई काम नहीं किया जिसके चलते उत्तराखंड को एक बार फिर जारी आंकडों से शर्मिंदां होना पडा है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के सापेक्ष उत्तराखंड राज्य में स्वास्थय सेवाओं पर सबसे कम बजट खर्च किया जाता है। विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट 2019 - 2020 में राज्य में चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य में पूंजीगत व्यय पहले की तुलना में घटा है ,जिसका असर सीधे सीधे आम जनता की सेहत पर पडा है। 2018 -2019 में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 188 करोड का बजट दिया गया, जबकि अगले वर्ष 2019 - 2020 में यह बजट घटाकर 97 करोड कर दिया गया। कैग ने खुद सरकार को इस सेक्टर में बजट बढाने का सुझाव सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि एक संस्था एसडीसी के मुताबिक उत्तराखंड में जो बजट हैल्थ सैक्टर पर खर्च किया जाता है वो हिमालय राज्यों में सबसे कम 6.8 प्रतिशत है,जबकि जम्मू कश्मीर में ये खर्च 7.7 प्रतिशत , हिमाचल में 7. 6 प्रतिशत तो दिल्ली में ये बजट 16.7 प्रतिशत है,यानि की उत्तराखंड में स्वास्थय का बजट सबसे कम है। उन्होंने कहा कि, राज्य में स्वास्थय सेवाओं के बुरे हाल हैं। आज भी कई अस्पताल ऐसे हैं ,जहां डॉक्टरों के अभाव में मरीजों को कई मील दूर जाना पडता है। आज भी प्रदेश में इलाज ना मिल पाने और अस्पताल में सुविधाएं ना मिल पाने के एवज में कई प्रसूताएं रास्ते में ही बच्चों को जन्म दे देती हैं या फिर दम तोड देती हैं। प्रदेश में एयर एंबुलेंस की सुविधाएं नहीं होने से आज भी कई लोग दम तोड देते हैं। लेकिन अगर कोई बडा नेता या वीआईपी हो तो उसको ये सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसके अलावा उन्होंने कहा,उत्तराखंड में पलायन की एक मुख्य वजह भी खराब स्वास्थ्य व्यवस्था है जिसके चलते यहां के लोगों को पलायन करना मजबूरी बन गई है।

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