समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, फाउण्डेशन शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल करेगा

देहरादून। राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड बंशीधर तिवारी तथा अपराजिथा फाउण्डेशन के मुखिया टी०ए० पद्मनाभम् के मध्य समझौता ज्ञापन (एम०ओ०यू०) हस्ताक्षरित किया गया। अपराजिथा ग्रुप ऑफ कम्पनीज के सामाजिक निगमित दायित्व के तहत गठित संगठन अपराजिथा फाउण्डेशन, शिक्षा के क्षेत्र में देशभर के कई राज्यों में नवाचारी कार्य कर रहा है। अब यह फाउण्डेशन उत्तराखण्ड में भी शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल करेगा। फाउण्डेशन का कार्यालय 10 वेंकटरम रोड मंदुर में स्थित है। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के अनुसार अपराजिथा फाउण्डेशन प्रारम्भिक स्तर के शिक्षकों को पुस्तिकायें निःशुल्क उपलब्ध करायेगा ये पुस्तिकायें विद्यालय कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों हेतु हर समय उपलब्ध रहेंगी। पुस्तिकाओं के माध्यम से बच्चों को विविध रूचिपूर्ण विषयों पर जानकारी प्राप्त होगी तथा बच्चे रूचि लेकर पुस्तकें पढ़ने की ओर प्रेरित होगें। इसके साथ ही फाउण्डेशन द्वारा जीवन कौशल से सम्बन्धित विभिन्न वीडियो तैयार किए गए हैं जिनको विद्यालयों तक आई०सी०टी० अथवा वर्चुअल स्टूडियो के माध्यम से प्रसारित किया जायेगा ये वीडियो कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास तथा जीवन कौशल अर्जित करने में, सहायक होगे। समग्र शिक्षा के साथ फाउण्डेशन का यह समझौता बच्चों की प्रतिभा को बेहतर ढंग से निखारेगा और बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक क्रिया-कलाप हेतु प्रेरित करेगा। राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी द्वारा फाउण्डेशन के इस प्रयास की सराहना करते हुए उम्मीद जाहिर की कि यह प्रयास राज्य के छात्र-छात्राओं को उनके जीवन कौशल में विशेष प्रगति के अवसर प्रदान करेगा तथा फाउण्डेशन द्वारा तैयार विभिन्न रचनात्मक वीडियो आदि के माध्यम से प्रेरित करेगा। इस अवसर पर अपराजिथा फाउण्डेशन के राष्ट्रीय मैनेजर कियान्वयन रूनम कौशिक, डॉ० मुकुल सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा अत्रेश सयाना, उप राज्य परियोजना निदेशक बी०पी० मैन्दोली, स्टॉफ आफिसर, डॉ० अर्चना गुप्ता, द्वारिका पुरोहित आदि भी उपस्थित रहे। शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा की ओर से विकसित ‘दक्ष’ डैशबोर्ड का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि गुणवत्तपूर्ण शिक्षा के लिए तकनीकि का प्रयोग आवश्यक है और डैश बोर्ड इस दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है। उन्होंने कहा कि डैस बोर्ड के माध्यम से किए जाने वाले प्रयास इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आज का समय टेक्नोलॉजी का समय है। जब तक हम अपने विभागों में टेक्नोलौजी का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक हम विभाग की कमियों को दूर नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि डैश बोर्ड में समुदाय को जोड़ा जाय। उन्होंने दक्ष डैशबोर्ड विकसित करने को लेकर विभागीय अधिकारियों और कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के टेक्नोलोजी से जुड़े कार्यक्रमों को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि दक्ष डैशबोर्ड मासिक परीक्षा के आधार पर छात्र प्रगति को केन्द्र में रखकर विभिन्न पहलुओं के दृष्टिगत परिणामों का विश्लेषण करता है। यह शिक्षकों तथा विभागीय अधिकारियों की पठन-पाठन हेतु छात्र/छात्राओं की प्रगति के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करता है। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण राकेश कुँवर ने कहा कि यह अभिनव प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा आगे भी इस तरह के अभिनव प्रयोग किये जाते रहेंगे।

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