कांग्रेस नेता उत्तराखंड को राजनीतिक रोटियां सेंकने का माध्यम बनाना चाहतेः जोशी

देहरादून। उत्तराखंडियत की बात करने वाली कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने सवाल किया कि कांग्रेस भूल गई है कि वह उत्तराखंड राज्य की हमेशा धुर विरोधी रही है। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल खड़े करते हुए पुछा कि सन् 1951 में जब पृथक राज्य की मांग की गई थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। तब देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद कभी भी कांग्रेस अलग राज्य की पक्षधर नहीं रही। भाजपा की सरकार ने ही राज्य का विधेयक पास कर इस बिल को पास करवाया। जोशी ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की जनता 1994 में जब अलग राज्य की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे थी। तब कांग्रेसी नेता कहां थे ? तब तत्कालीन केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार इस आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने सारे हथकंडे और षड्यंत्र इस आंदोलन को तोड़ने के लिए किए। लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। हरीश रावत को याद दिलाते हुए भाजपा प्रवक्ता जोशी ने कहा कि तब हरीश रावत राज्य आंदोलन को भटकाने के लिए केंद्र सरकार के पास उत्तराखंड को केंद्र शासित प्रदेश की मांग को लेकर गए थे। रामपुर तिराहा कांड, खटीमा, मसूरी गोलीकांड जब हुए थे उस समय केंद्र और राज्य में किसकी सरकार थी? क्या कांग्रेस पार्टी उसका जवाब देगी। जोशी ने कहा कि मात्र वोट बैंक की राजनीति के लिए उत्तराखंडियता का नारा देना एक हास्यपद नारा लगता है। कांग्रेस की सरकार ने उत्तराखंड के विकास को कभी प्राथमिकता नहीं दी। आज जो लोग उत्तराखंड से रिश्तों की बात कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि 10 वर्ष तक आप की केंद्र और प्रदेश में सरकार थी क्या कभी उत्तराखंड को रेल मार्ग से जोड़ने ,रोड कनेक्टिविटी के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली ,पेयजल आदि पर कितना काम किया? आज मोदी सरकार ने एक लाख करोड का निवेश उत्तराखंड में किया है। भाजपा ने प्रदेश को बनाया और उसको संवारने का भी काम भी भाजपा ही कर रही है। कांग्रेस के नेता सिर्फ उत्तराखंड को अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का एक माध्यम बनाना चाहते हैं। यह किसी भी कीमत पर उत्तराखंड की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी और 2022 के चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखायेगी।

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