अमर शहीद श्रीदेव सुमन तैं वों कि पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

देहरादून। पुण्यतिथि पर अमर सेनानी व टिहरी जनक्रांति का नायक श्रीेदेव सुमन जी तैं कोटि-कोटि नमन। टिहरी रियासत की कुनीतियों का खिलाफ लड़दू-लड़दू 25 जुलाई 1़944 का दिन ये महान वीर सपूत न टिहरी जेल मा 84 दिनों का अनशन का बाद अपणा प्राणों की आहुति दिली छै। श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि तैं सुमन दिवस का रूप मा मनाये जांदू। श्रीदेव सुमन न बोली थै कि मैं अपणा शरीर का कण-कण तैं नष्ट ह्वै जाण देलू पर टिहरी रियासत का नागरिक अधिकारों तैं कुचलने नहीं दूंगा। सुमन की यीं बात पर राजा न दरबार व प्रजामंडल का बीच सम्मानजनक समझौता करौण की संधि कू प्रस्ताव भी भेजी, लेकिन राजा का दरबारियों न ये प्रस्ताव तैं खारिज करी कैं वों का पिछने पुलिस अर गुप्तचर लगैली था। श्रीदेव सुमन न बहुत कम उम्र मा एक प्रतिभा संपन्न समाजसेवी, लेखक अर कवि का रूप मा पहचाण हासिल कर ली थै। तौं कू स्वभाव बड़ू मधुर अर व्यक्तित्व बड़ू प्रभावशाली थै जू सहज ही लोगू कू ध्यान आकर्षित करदा थै। श्रीदेव सुमन 1930 मा 14 साल की उम्र मा ही महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह आंदोलन मा कूद पड़ी थै, ऐ का वजह सी तौं तैं जेल जाणू पड़ी थै। तै का बाद तौंन टिहरी रियासत की सामंतशाही अर राजशाही नीतियों का विरोध मां आंदोलन शुरु करी दिनी। 1939 का आरंभ मा देहरादून मा टिहरी प्रजामंडल की स्थापना करी गई। श्रीेदेव सुमन तैं प्रजामंडल संयोजक समिति कू मंत्री चुने गई, वो बहुत ही उत्साह सी ये का कार्य का प्रसार में लगीन। ये वर्ष मा ही लुधियाना मां अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद का अधिवेशन मा तौंकि योग्य अर उत्साहवर्द्धक भूमिका सी आकर्षित ह्वै तैं परिषद का अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू न तौं तैं लोक परिषद की स्थायी समिति मा हिमालयी प्रांतीय देशी राज्यों का प्रतिनिधि का रूप मा चुनी। 24 वर्ष की उम्र मा ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी सिर पर औणा का बाद त श्रीदेव सुमन कू जीवन बहुत व्यस्त ह्वैगी थै। 1940 मां राजा की नीतियों का विरोध कन पर तौं तैं जेल भेजी गयी। तौं का खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करे गैन, जै पर सुमन नन ऐतिहासिक आमरण अनशन शुरु करी दिनी। अनशन प्रारंभ कना का बाद श्रीदेव सुमन पर अत्याचाार और भी बढ़ी गी। तौं तैं रोज बेतों और डंडों से पीटे जांदू थै। जब तौंन माफीनामा लिखण सी मना करी त 35 सेर वजन की बेड़ियां तौं का पैरों मा डाल दी गैन। जबरदस्ती खाणू खिलौणै की कोशिश किए जांदी थै। जब यह सब कोशिशें सफल नी ह्वै त तौं तैं जेल अस्पताल की एक कोठरी मा डाल दिए गै। तख भी पैरों मा बेड़ियां डाली गई थैं अर बेंत मारी जांदा था। 25 जुलाई 1़944 का दिन 29 वर्ष की उम्र मा ये महान वीर सपूत न टिहरी जेल मा 84 दिनों का अनशन का बाद अपणा प्राणों की आहुति दिली।

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