लोहाघाट स्थित अद्वैत मायावती आश्रम में ठहरेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

देहरादून, (गढ़ संवेदना)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड दौरा इस बार बेहद खास रहने वाला है। पीएम मोदी लोहाघाट स्थित अद्वैत मायावती आश्रम में ठहरेंगे। यहां 122 साल में पहली बार रात्रि विश्राम को स्वामी विवेकानंद का कमरा खुलेगा। प्रधानमंत्री मायावती आश्रम में करीब 20 घंटे रुक सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के कमरे में 122 साल बाद दूसरा व्यक्ति रात्रि विश्राम करेगा। स्वामी विवेकानंद 1901 में मद्रास से यात्रा पर निकले थे। 3 जनवरी 1901 को लोहाघाट के अद्वैत आश्रम पहुंचे। स्वामी विवेकानंद ने आश्रम में 15 दिनों तक रहकर योग साधना की थी। योग और साधना के लिए स्वामी विवेकानंद को आश्रम में दो कमरे आवंटित किए गए थे। इसके बाद से उनके रात्रि विश्राम वाले कमरे में ठहरने की अनुमति किसी को नहीं दी गई। हालांकि इस शताब्दी वर्ष में कई बड़ी शख्सियत आश्रम का भ्रमण कर चुकी हैं। उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस आश्रम में रात्रि विश्राम कर चुके हैं, लेकिन स्वामी विवेकानंद वाले कमरे में नहीं। जिस कमरे में स्वामी विवेकानंद ने रात्रि विश्राम किया था, उस कमरे में पीएम नरेंद्र मोदी रात्रि विश्राम करेंगे। पीएम मोदी के दौरे को देखते हुए आश्रम में व्यवस्था कर दी गई है। 122 साल बाद पहली बार ये कमरा रात्रि विश्राम के लिए खोला जा रहा है। पीएम मोदी 12 या 13 अक्टूबर की शाम यहां पहुंचेंगे। दूसरे दिन सुबह पीएम मोदी की रवानगी होगी। आश्रम प्रबंधन के अनुसार बतौर प्रधानमंत्री यहां आने वाले पीएम मोदी पहले व्यक्ति हैं इसलिए उन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। मायावती आश्रम से हिमालय दर्शन के अलावा ओम पर्वत और नंदा देवी चोटी के दर्शन होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे को देखते हुए तैयारियां तेज हो गई हैं। स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन को समझने और उनके बताये हुए मार्ग के बारे में जानने की तम्मना रखने वालों के लिए मायावती आश्रम एक अदभुत स्थान है। मायावती आश्रम अपनी नैसर्गिक सौंदर्यता और एकांतवास के लिए प्रसिद्द है। बुरांस, देवदार, बांज और चीड़ के जंगलों के बीच बसा यह आश्रम ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश विदेश के अनेकों शांति और सौन्दर्य प्रेमी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। गढ़ संवेदना न्यूज अद्वैत मायावती आश्रम एक अंग्रेज दंपत्ति ने बनवाया था। साल 1895 की बात है स्वामी विवेकानंद इंग्लेंड में थे, इस दौरान इंग्लैंड निवासी जेम्स हेनरी सेवियर अपनी पत्नी सी एलिजाबेथ सेविएर के साथ स्वामी विवेकानद से मिलने आये। जेम्स हेनरी तथा उनकी पत्नी सी एलिजाबेथ हेनरी की अध्यात्म में काफी रूचि थी और वो स्वामी विवेकानंद के दर्शन और व्याख्यान से काफी प्रभावित हुए। 1896 में जब स्वामी जी स्विट्जर्लैंड, जर्मनी और इटली की यात्रा पर गये तो हेनरी दम्पत्ति भी स्वामी विवेकानंद के साथ चल दिए। इसी बीच जब स्वामी विवेकानंद और हेनरी दम्पत्ति ऐल्प्स पर्वत की यात्रा पर थे तब उन्होंने भारत के हिमालयन राज्य में संतों के एकांतवास और वेदांत के अध्यनन के लिए एक आश्रम बनाने की इच्छा व्यक्त की। इसी कार्य को पूरा करने के लिए सेवियर दम्पति ने स्वामी विवेकानद से भारत आने की इच्छा वक्त की। स्वामी विवेकानद की आज्ञा पाकर दिसम्बर 1896 को सेवियर दम्पति स्वामी विवेकानंद के साथ भारत के लिए रवाना हो गये। फरवरी 1897 में वह मद्रास पहुचे, स्वामी विवेकानंद जी कलकत्ता चले गये और सेवियर दम्पति अल्मोड़ा आ गये। अल्मोड़ा आ कर उन्होंने यहां एक बंगला किराये पर लिया, अल्मोड़ा में वह वर्षों तक ठहरे। इस दौरान उन्होंने आश्रम के लिए उपयुक्त स्थान की खोज जारी रखी और अंततः जुलाई 1898 में लोहाघाट के नजदीक मायावती नामक स्थान जो की उस समय एक चाय बगान था और इसे आश्रम के लिये खरीद लिया। स्वामी स्वरूपानंद की सहायता से अद्वैत आश्रम मायावती 19 मार्च 1899 को बनकर तैयार हो गया। जिसके बाद साल 1901 में स्वामी विवेकानद लोहाघाट के अद्वैत मायावती आश्रम पहुंचे थे यहां उन्होंने 15 दिनों तक रुककर योग, और साधना की थी। मायावती आश्रम चंपावत से 22 किमी और लोहाघाट से 9 किमी की दूरी पर 1940 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अद्वैत आश्रम की स्थापना के बाद इसे प्रसिद्धि मिली। यह आश्रम भारत और विदेश से आध्यात्मिक लोगों को आकर्षित करता है।

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