निरंकार से जुड़ते ही हमारे सभी भ्रम हो जाते हैं समाप्त:- माता सुदीक्षा जी महाराज
देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज ‘प्रतिपल समर्पित भाव से जीवन जीने का नाम ही भक्ति है जिसमें जीवन का हर पल उत्सव के समान बन जाता है।’ उक्त् उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा (हरियाणा) में आयोजित ‘भक्ति पर्व समागम’ के विशेष सत्संग समारोह के अवसर पर एकत्रित विशाल जन-समूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए गये। इस कार्यक्रम का लाभ लेने हेतु दिल्ली एंव एनसीआर सहित अन्य स्थानों से भी हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए। भक्ति पर्व समागम के अवसर पर परम संत संतोख सिंह जी एवं अन्य संतों भक्तों के तप-त्याग को स्मरण किया जाता है जिन्होंने ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी के प्रचार प्रसार हेतु निरंतर प्रयास किया। यह पर्व समूचे विश्व में मनाया गया। भक्ति की परिभाषा को सार्थक रूप में बताते हुए सत्गुरु माता जी ने फरमाया कि भक्ति का अर्थ तो सरल अवस्था में जीवन जीना है जिस पर चलकर आनंद की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है। इसमें चतुर चालाकियों का कोई स्थान नहीं। भक्ति तो संपूर्ण समर्पण वाली भावना है जिसमें समर्पित होना ही सर्वोपरि है। संतों महापुरूषों के