स्माइल ट्रेन इंडिया ने कोविड-19 के दौरान क्लेफ्ट मरीजों को पहुंचाई सहायता 

-टोल फ्री क्लेफ्ट हेल्प लाइन पूरे भारत के मरीजों की मदद करती है

 

देहरादून। कोविड-19 लॉकडाउन ने सभी गैर-कोविड रोगों से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी मामलों असर डाला है, क्योंकि सरकारी दिशानिर्देशों के कारण ओपीडी और अस्पताल की नियमित सेवाओं को रोक दिया गया था। इस रोक ने न केवल क्लेफ्ट लिप (कटे होंठ) और पैलेट (तालु) की सर्जरी को, जो समय को लेकर संवेदनशील होती है, स्थगित कर दिया, बल्कि क्लेफ्ट रोगियों और उनके परिवारों को चिंता और भ्रम में भी डाल दिया।

ऐसी परिस्थिति में एनजीओ, स्माइल ट्रेन इंडिया, की टोल फ्री नेशनल क्लेफ्ट हेल्पलाइन- 1800 103 8301- एक वरदान साबित हुई। लॉकडाउन के दौरान क्लेफ्ट हेल्पलाइन ने माँ-बाप के प्रश्नों के जवाब देने के मामले में सहायक व्यवस्था की भूमिका निभाई, जिसमें माँ-बाप के निम्नलिखित प्रश्न शामिल रहे। कटे होंठ और तालु वाले नवजात शिशु को कैसे खिलायें, उनके बच्चे को मुफ्त क्लेफ्ट उपचार कब तक मिलेगा। इसमें एक युवा माँ को उसके परिवार द्वारा त्याग दिये जाने का मामला भी शामिल रहा, क्योंकि उसने कटे होंठ वाली बेटी को जन्म दिया था। लॉकडाउन के दौरान ऐसी 300 कॉल आई थीं।

कटे होंठ और तालु जन्म से जुड़ी हुई समस्याएं है जो पूरी तरह से ठीक हो सकती हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे बच्चों का सही उम्र में उपचार हो ताकि वे स्वस्थ और उपयोगी जीवन जी सकें। इस उपचार में सर्जरी और अन्य संबंधित सहायक देखभाल शामिल है। देर से किये गये उपचार की वजह से बोलने और सुनने की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, क्लेफ्ट रोगियों को सामाजिक कलंक और अलगाव का सामना करना भी पड़ सकता है। स्माइल ट्रेन इंडिया एक एनजीओ है जो पूरी तरह से मुफत क्लेफ्ट उपचार का समर्थन करता है। पिछले 20 वर्षों में, उन्होंने पूरे भारत में बच्चों के लिए 6 लाख से अधिक मुफ्त सर्जरी करने में मदद की है।

क्लेफ्ट रोगियो से जुड़ी स्थिति के बारे में बात करते हुए, ममता कैरोल, स्माइल ट्रेन की वाइस प्रेसिडेंट और रीजनल डायरेक्टर, एशिया ने कहा कि ‘‘हमारी टोल फ्री क्लेफ्ट हेल्पलाइन की शुरुआत ऐसे राष्ट्रीय संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से की गई थी, जो क्लेफ्टरोगियों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सकें, और इस हेल्पलाइन से लॉकडाउन के दौरान रोगियों और उनके परिवारों को बड़ा सहारा मिला। रोगियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं दोनों की सुरक्षा के लिए निर्धारित बेहतर सुरक्षा दिशा-निर्देशों के साथ, देश भर के हमारे सहयोगी अस्पताल अब धीरे-धीरे क्लेफ्ट सर्जरी करना फिर से शुरू कर रहे हैं। बिहार में तो सर्जरी फिर से शुरू भी हो चुकी है और क्लेफ्ट रोगियों के मुफ्त उपचार में हम सहायता पहुंचा रहे हैं।’’स्माइल ट्रेन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. संजय द्विवेदी, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, देहरादून ने कहा कि ‘‘कटे होंठ और तालु के उपचार में एक निश्चित समय से अधिक देरी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से बोलने संबंधी तथा ऑर्थोडॉन्टिक समस्याओं जैसी बड़ी दिक्कतें पैदा हो जाती है। स्माइल ट्रेन के सहयोग से, हम कटे होंठ और तालू के साथ पैदा हुए बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्ता उपचार प्रदान करने में सक्षम हैं, ताकि उन बच्चों के लिए उपयोगी जीवन जीना सुनिश्चित किया जा सके। क्लेफ्ट का उपचार संभव है और हम पूरे उत्तराखंड में अधिक से अधिक बच्चों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’  

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