हेमकुंड साहिब के कटपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

देहरादून। हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान करीब 1300 श्रद्धालु इस वर्ष की अंतिम अरदास में शामिल हुए। हेमकुंड साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई मिलाप सिंह ने इस वर्ष की अंतिम अरदास पढ़ी। 
कोरोना संक्रमण के कारण इस बार हेमकुंड साहिब के कपाट अपने नियत समय से तीन माह बाद यानि 04 सितंबर को खुले। जबकि पूर्व में एक जून को हेमकुंड साहिब के कपाट खोल दिए जाते थे। इस बार करीब साढ़े आठ हजार श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब में मत्था टेका। गुरुद्वारा प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया की हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह साढ़े नौ बजे पहली अरदास के साथ शुरू की गई। सुबह दस बजे सुखमणी का पाठ, 11 बजे शबद कीर्तन, दोपहर 12.30 बजे पर इस वर्ष की अंतिम अरदास मुख्य ग्रंथी भाई मिलाप सिंह के द्वारा पढ़ने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को पंच प्यारों की अगुवाई में दरवार साहिब से सचखंड में विराजमान किया गया। ठीक डेढ़ बजे हेमकुंड साहिब के कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया।
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के समीप ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान स्थानीय लोगों के द्वारा लक्ष्मण मंदिर में पूजा अर्चना की गई और भोग लगाने के बाद मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।


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