Monday, 30 September 2019
दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार महाकुम्भ 2021ः सीएम TSR
दून का चिल्लीज प्रीमियम रेस्टोरेन्ट उत्तराखंड का पहला सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रेस्टोरेंट बना
देहरादून, गढ़ संवेदना । दून का चिल्लीज प्रीमियम रेस्टोरेन्ट उत्तराखंड का पहला सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रेस्टोरेंट बना। प्लास्टिक फ्री दिशा में कदम बढ़ाते हुए राजधानी देहरादून में चिल्लीज प्रीमियम रेस्टोरेंट ने एक सराहनीय और प्रेरणादायक कदम उठाया है। नेहरु कॉलोनी स्थित इस रेस्टोरेंट ने खुद को सिंगल यूज प्लास्टिक से पूरी तरह मुक्त घोषित कर लिया है। इसी तरह के कदम यदि अन्य रेस्टोरेंट, होटल और व्यापारिक प्रतिष्ठान उठाने शुरु कर दें तो निश्चित रूप से अपना देहरादून प्लास्टिक मुक्त हो सकता है।
रविवार को रेस्टोरेंट की पहली वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह के साथ ही रेस्टोरेंट ने अपने प्लास्टिक मुक्ति के संकल्प पर अमल प्रारंभ कर दिया है। इस मौके पर रेस्टोरेंट में एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया। इस परिचर्चा में वक्ताओं द्वारा प्लास्टिक मुक्ति की दिशा में चिल्लीज प्रीमियम रेस्टोरेंट द्वारा उठाए गए कदम की मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई और अन्य रेस्टोरेंट, होटलों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों से भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने की अपील की गई। इस परिचर्चा में देहरादून नगरनिगम के मेयर सुनील उनियाल गामा ने बतौर मुख्य अथिति प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि हम प्लास्टिक मुक्ति आंदोलन को एक जनांदोलन के रूप में रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं। जिसके तहत शहर का हर नागरिक प्लास्टिक पाॅलीथिन मुक्ति की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने नगर निगम द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी। इस परिचर्चा में गति फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल, डिस्ट्रिक्ट फूड सेफ्टी अफसर गणेश चंद्र कंडवाल और वरिष्ठ पत्रकार संजीव कंडवाल आदि ने प्रतिभाग किया। मेयर सुनील उनियाल गामा ने रेस्टोरेंट की पहल का स्वागत करते हुए, इसे प्लास्टिक मुक्त देहरादून की दिशा में अहम कदम बताया। मेयर ने अन्य होटल, रेस्टोरेंट संचालकों को इस पहल से जुड़ने को कहा। चिल्लीज प्रीमियम रेस्टोरेंट के संचालक सचिन नारंग एवं हरित राय राणा ने कहा कि अपने ग्राहकों और शहरवासिायों की सेहत का ख्याल रखते हुए हमने सिंगल यूज प्लास्टिक पैकिंग को बन्द किया है। गति फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने प्लास्टिक के खतरों के प्रति आगाह किया और प्लास्टिक का उपयोग बंद करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस परिचर्चा का संचालन संजीव कंडवाल ने किया। कार्यक्रम में समाजसेवी सीताराम भट्ट, विष्णु भट्ट एवं जतिन नारंग आदि शामिल हुए।
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पहली बार 42 प्रतिभागी करेंगे रियल्टी शो में प्रतिभाग
Sunday, 29 September 2019
यहां रात में अप्सराएं मां के दरबार में करती हैं नृत्य और गायन
श्री चंद्रबदनी सिद्धपीठ की स्थापना की पौराणिक कथा मां सती से जुड़ी हुई है। एक बार सती के पिता राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शंकर को छोड़ देवता, ऋषि, मुनि, गंधर्व सभी को आमंत्रित किया। सती ने भगवान शंकर से वहां साथ जाने की इच्छा जाहिर की। भगवान शंकर ने उन्हें वहां न जाने की सलाह दी, परंतु वह मोहवश अकेली चली गईं।
सती की मां के अलावा किसी ने भी वहां सती का स्वागत नहीं किया। यज्ञ मंडप में भगवान शंकर को छोड़कर सभी देवताओं का स्थान था। सती ने भगवान शंकर का स्थान न होने का कारण पूछा तो राजा दक्ष ने उनके बारे में अपमानजनक शब्द सुना डाले। जिस पर गुस्से में सती यज्ञ कुंड में कूद गईं। सती के भस्म होने का समाचार पाकर भगवान शिव वहां आए और दक्ष का सिर काट दिया। भगवान शिव विलाप करते हुए सती का जला शरीर कंधे पर रख कर तांडव करने लगे। उस समय प्रलय जैसी स्थिति आ गई। सभी देवता शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु से आग्रह करने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपना अदृश्य सुदर्शन चक्र शिव के पीछे लगा दिया। जहां-जहां सती के अंग गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। मान्यता है कि चंद्रकूट पर्वत पर सती का बदन (शरीर) गिरा, इसलिए यहां का नाम चंद्रबदनी पड़ा। कहते हैं कि आज भी चंद्रकूट पर्वत पर रात में गंधर्व, अप्सराएं मां के दरबार में नृत्य और गायन करती हैं। यहां के पुजारी बताते हैं, मंदिर में मूर्त नहीं, श्रीयंत्र है। रावल यानी पुजारी भी आंखें बंदकर या नजरें झुकाकर श्रीयंत्र पर कपड़ा डालते हैं। मान्यता है कि यदि आंखें बंद न हों तो चुंधिया जाएंगी। गर्भगृह में एक शिला के ऊपर उत्कीर्ण यंत्र पर चांदी का छत्र अवस्थित है। कहा यह भी जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने श्रीयंत्र से प्रभावित होकर चंद्रकूट पर्वत पर चंद्रबदनी मंदिर की स्थापना की थी। चंद्रबदनी सिद्धपीठ ऋषिकेश से देवप्रयाग के रास्ते यहां पहुंचा जा सकता है। देवप्रयाग-टिहरी मोटर मार्ग पर करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी कस्बा जामणीखाल है, जहां से ऊपर की ओर कच्ची सड़क है। यहां का सफर हर किसी के लिए यादगार बन जाता है। ऊंची पहाडिय़ों और घने जंगलों से गुजरते हुए कुदरती नजारे मुग्ध कर देते हैं। मंदिर के निकट यात्रियों के विश्राम और भोजन की समुचित व्यवस्था है। वैसे तो हर दिन दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं, पर नवरात्रों में श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में पहुंच जाती है। अप्रैल महीने में हर साल यहां मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते पैदल मार्ग से यहां पहुंचते हैं। यहां की महिमा अपरंपार है। मान्यता है कि यहां आने वालों की हर मुराद पूरी होती है।
जनश्रुति है कि आदि जगत गुरु शंकराचार्य जी ने श्रीनगरपुरम् (श्रीनग) जो श्रृंगीऋषि की तपस्थली भी रही है, श्रीयंत्र से प्रभावित होकर अलकनन्दा नदी के दाहिनी ओर उतंग रमणीक चन्द्रकूट पर्वत पर चन्द्रबदनी शक्ति पीठ की स्थापना की थी। मंदिर में चन्द्रबदनी की मूर्ति नहीं है। देवी का यंत्र (श्रीयंत्र) ही पुजारीजन होना बताते हैं। मंदिर गर्भ गृह में एक शिला पर उत्कीर्ण इस यंत्र के ऊपर एक चाँदी का बड़ा छत्र अवस्थित किया गया है। पद्मपुरण के केदारखण्ड में चन्द्रबदनी का विस्तृत वर्णन मिलता है। मंदिर पुरातात्विक अवशेष से पता चलता है कि यह मंदिर कार्तिकेयपुर, बैराठ के कत्यूरी व श्रीपुर के पँवार राजवंशी शासनकाल से पूर्व स्थापित हो गया होगा। इस मंदिर में किसी भी राजा का हस्तक्षेप होना नहीं पाया जाता है। सोलहवीं सदी में गढ़वाल में कत्यूरी साम्राज्य के पतन के पश्चात् ऊचूगढ़ में चैहानों का साम्राज्य था। उन्हीं के पूर्वज नागवंशी राजा चन्द्र ने चन्द्रबदनी मंदिर की स्थापना की थी। जनश्रुति के आधार पर चाँदपुर गढ़ी के पँवार नरेश अजयपाल ने ऊचूगढ़ के अन्तिम राजा कफू चैहान को परास्त कर गंगा के पश्चिमी पहाड़ पर अधिकार कर लिया था। तभी से चन्द्रकूट पर्वत पर पँवार राजा का अधिपत्य हो गया होगा। 1805 ई0 में गढ़वाल पर गोरखों का शासन हो गया। तब चन्द्रबदनी मंदिर में पूजा एवं व्यवस्था निमित्त बैंसोली, जगठी, चैंरा, साधना, रित्वा, गोठ्यार, खतेली, गुजेठा, पौंसाड़ा, खाखेड़ा, कोटी, कंडास, परकण्डी, कुनडी आदि गाँवों की भूमि मिली थी।
चन्द्रबदनी मंदिर बांज, बुरांस, काफल, देवदार, सुरई, चीड़ आदि के सघन सुन्दर वनों एवं कई गुफाओं एवं कन्दराओं के आगोश में अवस्थित है। चन्द्रबदनी में पहुँचने पर आध्यात्मिक शान्ति मिलती है। अथाह प्राकृतिक सौन्दर्य, सुन्दर-सुन्दर पक्षियों के कलरव से मन आनन्दित हो उठता है। चित्ताकर्ष एवं अलौकिक यह मंदिर उत्तराखण्ड के मंदिरों में अनन्य है। यहाँ से चैखम्भा पर्वत मेखला, खैट पर्वत, सुरकण्डा देवी, कुंजापुरी, मंजिल देवता, रानीचैंरी, नई टिहरी, मसूरी आदि कई धार्मिक एवं रमणीक स्थल दिखाई देते हैं। वन प्रान्त की हरीतिमा, हिमतुंग शिखर, गहरी उपत्यकायें, घाटियां व ढलानों पर अवस्थित सीढ़ीनुमा खेत, नागिन सी बलखाती पंगडंडियां, मोटर मार्ग, भव्य पर्वतीय गाँवों के अवलोकन से आँखों को परम शान्ति की प्राप्ति होती है। श्रधालुओं के लिए नैखरी में गढ़वाल मण्डल विकास निगम को पर्यटक आवास गृह, अंजनीसैंण में श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के अलावा कई होटल व धर्मशालाएं भी हैं।
टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट देहरादून में लांच हुआ
-दीप डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड ने सामाजिक कार्यो में सहयोग करने के उद्देश्य से टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट शुरू किया
देहरादून। टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट का आधिकारिक लॉन्च कार्यक्रम आज देहरादून स्तिथ होटल में किया गया। जिसमे कि दिल है हिंदुस्तानी 2 फेम , भैरवास ग्रुप के उत्तराखण्डी फोक ऐवम सॉफ्ट रॉक बैंड के सिंगर संकल्प खेतवाल ने अपने प्रसिद्ध गीतों जैसे जरा जरा माठू माठू हिट छोरी तेरी गागर छलकिगी और बॉलीवुड सिंगर मिक्का सिंह के साथ गया गढ़वाली गीत तेरी बाकि बात रूप कमायू जैसे अपने कई सुपर हिट गानों द्वारा दर्शको का दिल जीता और साथ ही युवाओ से आह्वान किया कि वे लोग भी टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट कि और से चलाये जा रहे स्वच्छ पर्यावरण अभियान में जुड़े । भैरवास ग्रुप के अन्य सदस्य सौरभ नेगी, गिटारिस्ट, रजत डोभाल, ड्रमर आशु पाल, प्रीक्यूशन और हिमांशु रावत, बॉस ने भी दर्शको से खूब वाही वाही लूटी।
इस अवसर पर अम्बर जी, कंपनी डायरेक्टर, टेन्स्बर्ग ने बताया कि मुझे बहुत ख़ुशी है कि टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट का लांच देहरादून शहर में हुआ है। यह कंपनी सामाजिक कार्यो लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए आने वाले समय में बहुत सारे अभियान जैसे नो टू प्लास्टिक, ग्रीन प्लान्टेशन , पर्यावरण कि सुरक्षा और स्वछता अभियान चलाएग। आज हमने उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कलाकारों को बुलाकर यह सन्देश दिया है कि पर्यावरण के प्रति ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जागरूक करना और उन्हें इस अभियान में जोड़ने का संकल्प किया है। इसी क्रम में हमने आज अपने सदस्यों के साथ मसूरी रोड पर पौधा रोपण भी किया है। आने वाले समय में पुरे उत्तराखण्ड में पर्यावरण सुरक्षा , स्वछता अभियान में ज्यादा से ज्यादा युवाओ को जोड़ने के लिए टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट मनोरंजन क्षेत्र कि प्रशिद्ध हस्तियों को बुलाकर इन अभियानों में जुंडने का आह्वान करेंगे।इस अवसर पर नीरज अग्रवाल , आनंद गौतम, गोपाल जोशी , नागेश उपाध्याय , कुंवर सिंह नेगी और टेन्स्बर्ग एंटरटेनमेंट अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।
जयंती पर अग्रसेन महाराज की मूर्ति पर माल्यार्पण कर की पूजा-अर्चना
बीइंग भगीरथ टीम ने दरिद्र भंजन घाट पर चलाया स्वच्छता अभियान, पेंटिंग कर किया सौंदर्यकरण
नवरात्र साधना करने देश-विदेश से हजारों साधक पहुँचे शांतिकुंज
नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर डोडीताल
दिगंबर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बड़जात्या से भेंट कर मार्गदर्शन प्राप्त किया
देहरादून, गढ़ संवेदना । दिगंबर जैन महासमिति के उत्तरप्रदेश-उत्तरांचल के मुख्य सेवा संयोजक सचिन जैन ने दिगंबर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बड़जात्या के इंदौर से देहरादून आगमन पर महासमिति के पदाधिकारी व सभी सदस्यों के साथ एक शिष्टाचार भेंट कर मार्गदर्शन प्राप्त किया।
सचिन जैन ने अशोक जैन बड़जात्या को अंगवस्त्र पहनाकर वा स्मृति चिन्ह देकर उनका स्वागत और अभिनंदन किया। सचिन जैन ने कहा कि ये हमारे लिए गौरव का विषय है कि आज हमारे बीच हम सबको राष्ट्रीय अध्यक्ष का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। जिसमें महासमिति आपके मार्गदर्शन से शिखर को छूने में सफलता हासिल करेगी और सफलता के पायदान पर कदम रखेगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक जैन बड़जात्या ने अपने विचार रखे और विश्वास जताया कि सभी पदाधिकारी एवं सदस्य मिलजुल कर महासमिति के माध्यम से सामाजिक कार्य करेंगे। और महासमिति से जन जन को सदस्य बनाकर महासमिति को अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा करेंगे। इस पर महासमिति के संभागीय अध्यक्ष राजेश जैन ने आश्वस्त करते हुए भरोसा दिलाया कि आपकी उम्मीदों और आशाओं पर हम सभी खरा उतरने को पूरी पूरी कोशिश करेंगे और पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करेंगे। इस अवसर पर दिगम्बर जैन महासमिति अंचल की राजनीतिक चेतना प्रकोष्ठ संयोजिका मधु जैन ने उनका अपनी और सभी सदस्यों की ओर से आभार प्रकट किया और कहा कि आपके मार्गदर्शन में निश्चित रूप से महासमिति अपने चरम शिखर को छूने में पीछे नहीं हटेगी। इस अवसर पर आशीष जैन, आशु जैन, प्रतीक जैन, सुनीता जैन, प्रियंका जैन, ईशान जैन, आरव जैन आदि लोग उपस्थित रहे।
Saturday, 28 September 2019
दून में ‘डांडिया एंड गरबा रास व अंदाज-ए-दून एग्जीबिशन‘ 5 अक्टूबर को
रामलीला मंचन के दौरान विन्ध्याचल पर्वत पर भगवान परशुराम ने की तपस्या
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने स्वामी अवधेशानंद गिरी से की मुलाकात
शांतिकुंज में सर्वपितृ अमावस्या में हुए सामूहिक श्राद्ध संस्कार
मायाकुण्ड में चिकित्सा शिविर एवं स्वच्छता जागरूकता अभियान का आयोजन
मुख्यमंत्री ने किया उत्तराखण्ड अर्बन ट्रांसफोरमेशन समिट का शुभारम्भ
एयर इण्डिया की ’मुम्बई-देहरादून-वाराणसी’ हवाई सेवा शुरू
-जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने किया विधिवत शुभारम्भ
-सप्ताह में दो दिन चलेगी सेवा, अब देहरादून से वाराणसी डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकेगा
देहरादून, गढ़ संवेदना । एयर इण्डिया की 'मुम्बई-देहरादून-वाराणसी' हवाई सेवा शुरू हो गई है। यह सेवा अभी सप्ताह में दो दिन चलेगी। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट पर आयोजित कार्यक्रम में हवाई सेवा का विधिवत शुभारम्भ किया। एयर इंडिया की देहरादून से शुरू होने वाली यह तीसरी एयर बस है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि देहरादून व वाराणसी के बीच सीधी हवाई सेवा शुरू होने से विशेष रूप से उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश के लोगों को लाभ होगा। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तराखण्ड में न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर बल्कि रोड, एयर और रोप वे कनेक्विटी बढ़ाने की दिशा में तेजी से कार्य किया गया है। इससे राज्य में पर्यटन व्यवसाय को और अधिक मजबूती मिलेगी। एयर कनेक्टीवीटी में विस्तार से राज्य में निवेश भी बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया और केक भी काटा। उन्होंने मुम्बई-देहरादून-वाराणसी फ्लाईट के पायलट शिराज फारुकी को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सांसद माला राज्य लक्ष्मीशाह, विधायक धन सिंह नेगी, मुख्यमंत्री के नागरिक उड्डयन सलाहकार कैप्टन दीप श्रीवास्तव, एयर इंडिया की निदेशक मीनाक्षी मलिक, अरूणा गोपालकृष्णन, ए. एस. नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। देहरादून से वाराणसी के लिए अभी यह सेवा सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को उड़ान भरेगी। अक्टूबर में कोलकात्ता तक भी देहरादून से हवाई सेवा शुरू हो जाएगी। ट्रैफिक को देखते हुए इस सेवा को सप्ताह में तीन दिन और फिर नियमित भी किया जा सकता है। देहरादून को देश के प्रमुख शहरों को हवाई सेवा से जोड़ा जा चुका है। आज की फ्लाईट अपनी पूर्ण यात्री क्षमता के साथ गई।
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तीर्थयात्रियों को ले जा रहे टैंपो पर गिरे पत्थर, 6 की मौत, 4 घायल, बदरीनाथ हाईवे पर तीनधारा के पास हुआ हादसा
Friday, 27 September 2019
थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी के अध्यक्ष बने, सीएम ने दी बधाई
नई दिल्ली/देहरादून, गढ़ संवेदना। थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी (सीओएससी) के अध्यक्ष बनाए गए हैं। उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया है। जनरल रावत के (सीओएससी) के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुशी व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। सीएम ने कहा कि जनरल रावत को सीओएससी का अध्यक्ष बनाया जाना उत्तराखण्ड का भी सम्मान है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि उनके कुशल नेतृत्व में देश की सीमायें और अधिक सुरक्षित रहेंगी तथा हमारे सैन्य बलों का मनोबल और ऊँचा होगा।
डॉ. अमिता उप्रेती स्वास्थ्य महानिदेशक नियुक्त
उत्तराखण्ड राष्ट्रीय फिल्म संवर्धन हितैषी राज्य पुरस्कार से सम्मानित
देहरादून, गढ़ संवेदना । विश्व पर्यटन दिवस उत्तराखण्ड पर्यटन के लिए एक नई सौगात लेकर आया। विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडु एवं विशिष्ट अतिथि जुरब पोलोलिकाश्विली, यू0एन0डब्ल्यू0टी0ओ0 के महासचिव तथा पर्यटन/संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा उत्तराखण्ड राज्य को राष्ट्रीय फिल्म संवर्धन हितैषी राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, अपर सचिव पर्यटन उत्तराखण्ड शासन सोनिका एवं संयुक्त निदेशक उŸाराखण्ड पर्यटन पूनम चंद द्वारा यह पुरस्कार प्राप्त किया गया।
इसके साथ ही उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा बी0एस0एफ0 तथा हासा के सहयोग से मालदेवता में एक04 दिवसीय 2दक मालदेवता पैराग्लाईडिंग ऐकोरेसी प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया गया, जिसका उद्घाटन महानिदेशक, कानून व्यवस्था अशोक द्वारका द्वारा मालदेवता में किया गया। इसके अतिरिक्त अपरान्ह में पटेल नगर स्थित होटल मैनेजमेन्ट एवं कैटरिंग संस्थान में विभिन्न कार्यक्रम/संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राज्य के नैसर्गिक सौन्दर्य और मनोहारी लोक संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में उŸाराखण्ड को फिल्म निर्माण के क्षेत्र में देश के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारत के सबसे सुन्दरतम राज्यों में से एक उŸाराखण्ड अनेक सुरम्य व मनमोहक स्थानों को खुद में समेटे हुए है जो फिल्म उद्योग के लिए आदर्श है। एक तरफ हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियाँ व उससे निकलने वाली गंगा, यमुना आदि सदानीर नदियाँ हैं, तो दूसरी तरफ देवदार, चीड़ आदि के घने जंगल। यहाँ वन्यजीवों से लेकर प्राचीन पुरातात्विक धरोहर, विश्व प्रसिद्ध चारधाम आदि मंदिरों से लेकर बर्फ से ढ़के पहाड़ किसी भी फिल्म की शूटिंग के लिए आदर्श पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हैं।देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को फिल्म निर्माण के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से राज्य ने एकल खिड़की व्यवस्था ;ैपदहसम ॅपदकवू ैलेजमउद्ध के माध्यम से अपनी फिल्म शूटिंग नीति को आसान बना दिया है जैसे राज्य में निर्मित एवं प्रदर्शित होने वाली फिल्मों को प्रोत्साहन, मनोरंजन कर में छूट, अनुदान, निगम के पर्यटक आवास गृहों में 50 प्रतिशत छूट आदि। जिसके फलस्वरूप अनेक क्षेत्रीय एवं बाॅलीवुड फिल्मों की शूटिंग उŸाराखण्ड राज्य में की गई है।मालदेवता में आयोजित 04 दिवसीय 2दक मालदेवता पैराग्लाईडिंग ऐकोरेसी प्रतियोगिता में देशभर से 60 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें कि विभिन्न राज्यों यथा- अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली आदि पैराग्लाईडरों द्वारा अपनी योग्यता का प्रर्दशन किया गया। उद्घाटन के अवसर पर बी0एस0एफ0 के पैरा कमाडेंट राजकुमार नेगी द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराते हुए बताया गया कि उत्तराखंड में पैराग्लाईडिंग की असीम संभावनाएं हैं। मालदेवता जैसे स्थान को पैराग्लाईडिंग हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। आयोजन के दौरान एयर शो हाॅट एयर बैलून, राॅक क्लाईमिंग साईकिलिंग इत्यादि गतिविधियों का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हासा के अध्यक्ष शुभंग रतूड़ी द्वारा जानकारी दी गई है कि इस चार दिवसीय कार्यक्रम में पर्यटन हेतु टैंडम, पैराग्लाईडिंग, हाॅट एयर बैलूनिंग और कल्चर प्रोग्राम का भी प्राविधान है। इस अवसर पर उत्तराखंड पर्यटन के प्रतिनिधी जसपाल सिंह चैहान द्वारा समारोह में उपस्थित पर्यटकों/प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्व पर्यटन दिवस की शुभकामनाएं दी गई। उनके द्वारा अवगत कराया गया है कि उत्तराखंड पर्यटन साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने हेतु भ्रसक प्रयास कर रहा है।
घाट किनारे चैपाल लगाकर जनता को किया जागरूक
अधिकारी टीम भावना के रूप में करें कार्यः डीएम मंगेश
नवरात्रों के नौ दिन आचार्य बालकृष्ण केदारनाथ धाम में रहेंगे मौजूद
नियमित उपचार से पूरी तरह रोगमुक्त होंगे क्षय रोगी
गृहे गृहे गायत्री यज्ञ उपसना वर्ष के लिए केन्द्रीय टोलियो का प्रशिक्षण हुआ समाप्त
एचआरडीए की अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़ी कारवाई
जनता के करों एवं चालानों से प्राप्त धनराशि को जनहित के कार्यों में व्यय किया जाएः यादव
रामलीला कमेटी ने अपने रंगमंच पर रामजन्म की लीला का किया भव्य मंचन
आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 27 सितम्बर
शराब फैक्ट्रियों को लेकर सरकार को जगाने के लिए गंगा किनारे पूजन कर किया प्रदर्शन
Thursday, 26 September 2019
पलायन रोकने को द्वारी गांव के आशाराम ने जगाई आशा की किरण
घनसाली/पिलखी,वीरेंद्र दत्त गैरोला। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र से जहां लोग रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लगातार शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर उजड़ते गांवों को बचाने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवक हैं टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल। आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की लाभकारी खेती शुरु कर रोजगार के अवसर सृजित करने का काम किया है। उनके द्वारा गांव में करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी की खेती की जा रही है। आशाराम नौटियाल के इस कार्य से पलायन के चलते जन शून्य की ओर बढ़ते इस गांव में पलायन को रोकने की दिशा में एक आशा की किरण दिख रही है। रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने वाले युवाओं के लिए आशाराम प्रेरणासा्रेत हैं।
सरकार पलायन को रोकने के दावे करती है लेकिन उसके यह दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। जो लोग गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर पलायन को रोकने की दिशा में ईमानदारी से काम कर रहे सरकार यदि थोड़ा उनकी मदद कर ले तो निश्चित रूप से पलायन की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखती है। भिलंगना ब्लॉक के द्वारी गांव के काश्तकार आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की खेती शुरु कर गांव से पलायन कर रहे युवाओं को आइना दिखाया है। घनसाली-पिलखी क्षेत्र के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो रोजगार की तलाश में पहाड़ से पलायन कर रहे हैं। आशाराम बताते है कि 14 वर्ष पूर्व उन्होंने बड़ी इलायची का एक पौधा अपने खेत की मेढ़ पर लगाया था। जिस पर फसल लगने के बाद उन्होंने इसकी खेती करने का मन बनाया। धीरे-धीरे उन्होंने बड़े स्तर पर इसका उत्पादन शुरु किया। अब वह करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी का उत्पादन कर रहे हैं। स्थानीय बाजार में उचित मूल्य न मिलने के कारण उन्हें देहरादून के बाजार में यह इलाचयी बेचनी पड़ती है। इससे वह दो लाख रुपये प्रतिवर्ष की आमदनी प्राप्त कर रहे है। उनके द्वारा गांव में माल्टा, नींबू, हल्दी, अदरक की खेती की भी शुरु की गई है। आशाराम इलाइची का उत्पादन अपने दम पर कर रहे हैं, उद्यान विभाग द्वारा उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। उनका कहना है कि उन्होंने उद्यान विभाग से इस उत्पादन क्षेत्र में इलाइची की खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए घेरवाड़ करने की मांग की जा रही है लेकिन उद्यान विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार के उपेक्षित रवैये से आशाराम खिन्न हैं।
कार्यदायी संस्थाओं को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य आवंटित किये जाएंः सीएम
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों ने की सीएम से भेंट
75 अतिक्रमणों का ध्वस्तीकरण किया गया
लाइसेंस नवीनीकरण की एवज में रिश्वत लेने के मामले में फूड सेफ्टी अधिकारी को पांच साल का कारावास
साले ने की जीजा की हत्या, शव के टुकड़े कर खेत में दबा दिए
साधु समाज भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने की ताकत रखताः मोहन भागवत
शराब फैक्ट्रियों को लेकर सरकार को जगाने के लिए गंगा किनारे पूजन कर किया प्रदर्शन
पूर्व सीएम हरीश रावत देहरादून में देंगे पहाड़ी ककड़ी व गेंठी की दावत
सियासी मोर्चे पर भले ही हरीश रावत पिछले तीन सालों से कोई चमत्कार नहीं दिखा पा रहे हैं, इसके बावजूद उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है। प्रदेश कांग्रेस में इस दौरान मतभेदों की तमाम चर्चाओं के बावजूद पिछले दिनों स्टिंग प्रकरण में नैनीताल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले पार्टी पूरी तरह उनके पीछे खड़ी नजर आई। हरीश रावत अपनी तरह-तरह की दावतों के लिए भी अकसर चर्चा में रहते हैं। वह कभी आम की दावत, कभी काफल और कभी पहाड़ी व्यंजनों की दावत आयोजित कर अपने समर्थकों के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं। इस तरह की दावतों को पर्वतीय क्षेत्रों के मुद्दों को लेकर हरदा की अलहदा सियासत के रूप में भी देखा जाता रहा है। आगामी शनिवार को हरीश रावत पहाड़ी ककड़ी (खीरा) की दावत आयोजित कर रहे हैं। इसका जिक्र उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट कर भी किया है। रावत के मुताबिक पहाड़ी ककड़ी और रायता के अलावा इसमें मेहमानों का परिचय उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली गेठी (एक तरह का कंद) से भी कराया जाएगा। इन्हें उबाल कर खाया जाता है। गेठी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इससे मधुमेह को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है।
आइए जानते हैं क्या है पहाड़ी ककड़ी और गेंठी
पहाड़ी ककड़ी: पहाड़ी ककड़ी सामान्यतः ककडी या खीरा नाम से जानी जाती है. उच्च पर्वतीय क्षेत्र उगायी जाने वाली ककडी अपने खास स्वाद की वजह से आज अपने आप में एक ब्रांड है जिसको सिर्फ खाने पश्चात ही समझा जा सकता है. अत्यधिक मांग में रहने वाली पहाड़ी ककड़ी उत्तराखण्ड में बहुतायत उगायी जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम Cucumis sativus L. जो की Cucurbitaceae कुल के अंतर्गत आती है. विश्वभर में लगभग सभी जगह उगायी जाने वाली ककडी को अनेकों नामों से जाना जाता है जैसे कि खीरा, ककडी- उर्दू, पेपिनो-स्पेनीस, हुआंग गुआ- चाइनीज, क्यूरी- जापानीस, पिपिगंगना-श्रीलंका आदि. इसके अलावा पूरे देश में लगभग 1600 मी0 (समुद्रतल से) तक की ऊंचाई पर उगाई जाने वाली ककडी को हिन्दी में खीरा, ककडी, बंगाली में साउसा, तमिल में वेलारिका, तेलगू में कीरा डोस्लाया, कन्नड में सवातेकाई, मराठी में सितालचीनी, गुजराती में ककडी, असम में तियोह आदि नामों से जाना जाता है।
पहाड़ी ककड़ी का उत्पादन पर्वतीय क्षेत्रों में बिना किसी रासायनिक खाद तथा अन्य कीटनाशक की सहायता से किया जाता है जिसके कारण इसकी अत्यधिक मांग रहती है. पहाड़ी ककड़ी की कीमत मैदानी क्षेत्रों में उगायी जाने वाली ककडी से अधिक होने के बाद भी बाजार में ज्यादा पसंद की जाती है. उत्तराखण्ड के कुमाऊं तथा गढवाल क्षेत्रों में पहाड़ी ककड़ी का खूब उत्पादन किया जाता है, जो कि स्थानीय काश्तकारों को आर्थिकी का मजबूत विकल्प है. पहाड़ी ककड़ी में प्राकृतिक मिनरल्स तथा विटामिन्स प्रचूर मात्रा में हाने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा कृषि कार्यों के दौरान खेतों में एक ऊर्जा के विकल्प में खूब पंसद किया जाता है. पहाड़ी ककड़ी का प्रदेशभर में अच्छा उत्पादन किया जाना चाहिए ताकि इसे प्रदेश की आर्थिकी का ओर मजबूत विकल्प बनाया जा सकें. उत्तराखण्ड में पारम्परिक रूप से पहाडी ककडी को कीचन गार्डन तथा पारम्परिक फसलों के बीच में उगाई जाती है.
सामान्यतः ककडी का उपयोग खाने में सलाद तथा रायते में किया जाता है लेकिन इसके अलावा इसको विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलाकर भी प्रयोग में लाया जाता है जैसे कि पर्वतीय क्षेत्रों में इससे 'बडी' बनायी जाती है. घरेलू उपयोग के अलावा इसका उपयोग कॉस्मेटिक उत्पाद, आयुर्वेदिक औषधियां तथा एनर्जी ड्रिंक्स बनाने में भी किया जाता है. इसमें एल्केलॉइडस, ग्लाइकोसाइड्स, स्टेरोइड्स, केरोटीन्स, सेपोनिन्स, अमीनो एसिड, फलेवोनोइड्स तथा टेनिन्स आदि रासायनिक अवयव पाये जाते है. ककडी में पोषक तत्व तथा मिनरल्स प्रचूर मात्रा में पाये जाते है तथा इसमें मौजूद विटामिन्स-'ए', 'बी' तथा 'सी' की मात्रा होने से यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने में सहायता करती है. इसमें ऊर्जा-16 किलो कैलोरी, कार्बाइाइड्रेट- 3.63g, डाइटरी फाइबर- 0.5g, वसा- 0.11 g, प्रोटीन- 0.65 g, फोलेट्स- 7.0 मी0g, विटामिन 'बी'- 0.25 Mg, विटामिन 'सी'- 2.8 Mg, विटामिन 'k – 16.4 Mg, सोडियम- 2.0 Mg, पोटेशियम- 14.7 Mg, फोस्फोरस- 24 Mg, कैल्शियम- 16 Mg, कॉपर- 0.17 Mg, आयरन- 0.3 Mg, मैग्नीशियम- 13 Mg, मॅग्नीज़ – 0.08 Mg, फ्लोराइड- 1.3 Mg तथा जिंक- 0.2 Mg तक की मात्रा में पाये जाते है।
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गेंठी (गींठी): इसे कंद की सब्जी भी कहा जाता है। अपने आप में ये कई कुदरती खूबियों को समेटे हुए है। इस सब्जी को दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी उगाया जाता है। खास बात ये भी है कि चरक संहिता और सुश्रुवा संहिता में गेंठी (गींठी) का स्थान दिव्य अट्ठारह पौधों में दिया गया है।
Wednesday, 25 September 2019
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